सीख; वसुदेव और देवकी ने छह पुत्र कंस को सौंप दिए थे, कंस सभी पुत्रों को मार देता था, लेकिन बीच में एक बार उसे दया आ गई थी और उसने कहा था कि आप छोटे बच्चे लेकर न आएं, आकाशवाणी आठवें पुत्र की है तो…….
महाभारत में कंस अपनी देवकी को मारने का निर्णय ले लिया था। कंस को आकाशवाणी से मालूम हो गया था कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा।
देवकी के पति वसुदेव ने कंस से कहा, ‘हम तुम्हें हमारी आठों संतान दे देंगे, तुम देवकी को मत मारो।’
वसुदेव की ये बात कंस मान गया। इसके बाद हर वर्ष देवकी के गर्भ से एक-एक पुत्र हुआ। वसुदेव और देवकी ने छह पुत्र कंस को सौंप दिए थे। कंस सभी पुत्रों को मार देता था, लेकिन बीच में एक बार उसे दया आ गई थी और उसने कहा था कि आप छोटे बच्चे लेकर न आएं, आकाशवाणी आठवें पुत्र की है तो आप मेरे पास आठवें पुत्र को ले आना।
उस समय नारद मुनि कंस के पास पहुंचे और बोले, ‘तुम तो मूर्ख हो, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? तुम्हें क्या मालूम कि इस क्रम में आठवां पुत्र कौन सा है?’
ये बात सुनकर कंस चौंक गया और उसने देवकी-वसुदेव को फिर से कारागार में डाल दिया। इसके बाद कंस ने देवकी-वसुदेव के एक के बाद एक छह पुत्रों को मार दिया। सातवें पुत्र के समय कह दिया था कि गर्भ गिर गया है। इसके बाद आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
कई लोगों के मन में विचार आता है कि नारद मुनि ने कंस को ऐसी सलाह क्यों दी? नारद मुनि का काम ये था कि हर स्थिति में बुराई खत्म होनी चाहिए। वे जानते थे कि कंस देवकी की संतान नहीं मारेगा तो उसका अत्याचार और ज्यादा बढ़ेगा। भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में समय पर अवतार नहीं ले पाएंगे। इसलिए नारद ने कंस को भड़काया कि वह तुरंत निर्णय ले, ताकि भगवान का अवतार समय पर हो जाए और कंस जैसे बुरे लोगों के अत्याचारों से सभी को मुक्ति मिल जाए।
सीख
नारद मुनि का ये स्वभाव में हमें संदेश दे रहा है कि हमेशा ये विचार करते रहना चाहिए कि अच्छाई को कैसे बचा सकते हैं और बुराई को कैसे जल्दी से जल्दी समाप्त कर सकते हैं। इसके लिए बुरे लोगों को भी समझाना पड़े तो पीछे न हटें। बुरे लोगों की कमजोरियों को समझें और उन्हें ऐसी सलाह दें, जिससे बुराई खत्म हो जाए और अच्छाई बच जाए। नारद मुनि हर परिस्थिति में सत्य को बचाने की और असत्य को खत्म करने कोशिश करते थे।