सीख; व्यक्ति अगर पांच काम करे तो वह कभी भी अशांत नहीं हो सकता है, पहला काम है जल दान करना, जरूरतमंद लोगों तक पानी पहुंचाना चाहिए, दूसरा काम है, जलाशय, तालाब का निर्माण करना……

मुनि सनत कुमार बहुत अच्छी कथा सुनाते थे। एक दिन वेदों का संपादन करने वाले महर्षि वेद व्यास ने सनत कुमार से पूछा, ‘मनुष्य के जीवन में जब अशांति आती है, जब वह परेशान होता है तो उसे क्या करना चाहिए?’

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सनत कुमार ने कहा, ‘व्यास जी, मनुष्य की अशांति का मुख्य कारण ये है कि वह प्रकृति से दूर हो जाता है। मेरे निजी अनुभव से मैं ये कह रहा हूं कि कोई व्यक्ति अगर पांच काम करे तो वह कभी भी अशांत नहीं हो सकता है। पहला काम है जल दान करना। जरूरतमंद लोगों तक पानी पहुंचाना चाहिए। दूसरा काम है, जलाशय, तालाब का निर्माण करना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति समर्थ है तो उसे पानी के कुंड बनवाना चाहिए। इससे धरती की प्यास बुझती है और प्रकृति में हरियाली बढ़ती है। तीसरा काम है, पौधे लगाना। पौधे लगाने वाला व्यक्ति भी प्रकृति से जुड़ जाता है। चौथा काम है, हमेशा सच बोलें। कोशिश करें कि कभी झूठ न बोलें। जितना सच बोलोगे, उतना मन शांत रहेगा, क्योंकि सच बोलने वाले को ये याद नहीं रखना पड़ता है कि कब क्या बोला था। जब भी बोला होगा, सच ही बोला होगा। पांचवां काम है, जीवन में अनुशासन बनाए रखना है।’

व्यास जी ने ये बातें सुनकर कहा, ‘कोई व्यक्ति ये 5 काम करेगा तो क्या वह प्रकृति से जुड़ जाएगा?’

सनत कुमार बोले, ‘हां, ये पांच काम व्यक्ति को प्रकृति से जोड़ते हैं। व्यक्ति चाहे व्यापार करे, नौकरी करे या कोई भी काम करे, वह अशांत नहीं होगा।’

सीख

अगर कोई व्यक्ति पानी बचाएगा, पानी का दान करेगा, पौधे लगाएगा, झूठ नहीं बोलेगा और अनुशासन में रहेगा तो उसके जीवन में हमेशा शांति बनी रहती है।

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