सीख; शुकदेव ने राजा परीक्षित से कहा, ‘पृथ्वी ने ये बातें इसलिए कहीं थीं, क्योंकि धरती पर जो धन-संपत्ति बनती है, सारे झगड़े उसी के लिए हैं, सभी चाहते हैं कि मेरे पास दूसरों से ज्यादा वैभव हो……
शुकदेव जी भागवत कथा सुना रहे थे, प्रमुख श्रोता थे राजा परीक्षित। राजा परीक्षित ने एक प्रश्न पूछा, ‘कलियुग में लोग इतने बेचैन क्यों रहते हैं? लोगों का मन शांत क्यों नहीं रहता है? हर व्यक्ति चाहता है, मेरी इच्छाएं पूरी हो जाएं।’
शुकदेव जी ने कहा, ‘यही बात एक दिन पृथ्वी ने भगवान से पूछी थी। पृथ्वी ने भगवान से कहा था कि ये राजा जो खुद मौत के खिलौने हैं। ये सभी मुझे जीतना चाहते हैं। अभी तक मुझे यानी धरती को कोई भी ऊपर नहीं ले जा सका है।’
शुकदेव ने आगे कहा, ‘पृथ्वी ने ये बातें इसलिए कहीं थीं, क्योंकि धरती पर जो धन-संपत्ति बनती है, सारे झगड़े उसी के लिए हैं। सभी चाहते हैं कि मेरे पास दूसरों से ज्यादा वैभव हो, इसके लिए सभी लगे हुए हैं। जिस दिन इस दुनिया से जाएंगे, सभी यहीं छूट जाएगा। राजा नहुष, राजा भरत, शांतनु, रावण, हिरण्याक्ष, तारकासुर ये सभी बड़े-बड़े शक्तिशाली राजा थे, लेकिन खाली हाथ ही गए। धरती को कोई लेकर नहीं गया। जो लोग ये घोषणा करते थे कि ये धन-संपत्ति, जमीन-जायदाद मेरी है, वह भी ये दुनिया छोड़कर गए हैं।’
परीक्षित ने पूछा, ‘कलियुग में इतनी अशांति है तो शांति पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? रहना तो इसी दुनिया में है और ये सब काम भी करना हैं। गलत काम बढ़ते जा रहे हैं। परिवारों की शांति चली गई है। रिश्तों का मतलब बदल गया है। ऐसे समय में लोग शांति से कैसे रह सकते हैं।’
शुकदेव जी कहते हैं, ‘जो लोग भगवान का नाम जपते हैं, भजन, पूजा-पाठ और ध्यान करते हैं, उन्हें शांति मिलती है। अपने इष्टदेव के नामों का जप करें। मंत्र जप करने से शरीर में जो परिवर्तन होंगे, वे हमें शांत करेंगे।’
सीख
शुकदेव जी ने शांति पाने का जो तरीका बताया है, उसे योग कहा जाता है। इसलिए जब हमारे आसपास का वातावरण अशांत हो, हमें नकारात्मकता महसूस होने लगे तो अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। हर रोज योग और मेडिटेशन करें। ऐसा करने से विपरीत परिस्थितियों में भी हम शांत रहेंगे।