सीख; श्रीकृष्ण की बातें सुनकर सभी बुजुर्गों ने कहा, ‘कृष्ण, हम तो तुम्हारे भरोसे हैं, ये तो सही है कि द्वारिका में हालात पहले जैसे नहीं हैं, लोग आपस में ही लड़ रहे हैं, हमारे बच्चे…….

महाभारत के समय की बात है। एक दिन श्रीकृष्ण द्वारिका में अपने बुजुर्गों से कह रहे थे, ‘हमारी द्वारिका में हर जगह अपशकुन हो रहे हैं, उत्पात हो रहे हैं। इन सब का मुख्य कारण ये है कि ब्राह्मणों ने हमारे कुल को ऐसा शाप दिया है कि इस शाप को टालना बहुत मुश्किल है। हमें इस शाप को भोगना ही होगा। अब इस शाप के निदान का अवसर चला गया है।’

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श्रीकृष्ण की बातें सुनकर सभी बुजुर्गों ने कहा, ‘कृष्ण, हम तो तुम्हारे भरोसे हैं। ये तो सही है कि द्वारिका में हालात पहले जैसे नहीं हैं। लोग आपस में ही लड़ रहे हैं। हमारे बच्चे उद्दंड हो गए हैं। अब हमें क्या करना चाहिए? ये तो तुम ही बताओ।’

श्रीकृष्ण बोले, ‘अगर हम अपने प्राणों की रक्षा करना चाहते हैं तो हमें ये जगह छोड़ देनी चाहिए। स्थान से मोह होता है, लेकिन अगर वह स्थान हमारे लिए विपरीत हो जाए, हमें वह दुख देने लगे तो उस स्थान को छोड़ देने में ही भलाई है। यहीं हमारे पास एक प्रभास क्षेत्र है। बहुत पवित्र जगह है, हमें वहां चलना चाहिए।’

श्रीकृष्ण ने उस जगह का महत्व बताने के लिए एक उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा, ‘जब दक्ष प्रजापति ने अपने दामाद चंद्र को शाप दिया तो उस शाप के रोग से मुक्त होने के लिए चंद्र ने इस क्षेत्र में स्नान किया था। इसके बाद चंद्र रोग से मुक्त हो गए थे। हम भी वहां स्नान करेंगे, अपने पितृों का तर्पण करेंगे, सत्संग सुनेंगे और संकटों से मुक्त होने के लिए जो आत्मबल चाहिए, वह उस स्थान से मिलेगा।’

इसके बाद श्रीकृष्ण के कहने पर सभी लोग प्रभाष क्षेत्र में प्रवेश कर गए।

सीख

इस घटना में श्रीकृष्ण ने हमें संदेश दिया है कि जब ऐसा लगे कि समय विपरीत आ गया है तो अपने स्थान पर जरूर ध्यान देना चाहिए। हो सकता है कि वह जगह आपके लिए सुरक्षित न हो। मौका मिलते ही वह जगह हमें छोड़ देना चाहिए। साथ ही ये भी ध्यान रखें कि वह स्थान हम क्यों छोड़ रहे हैं और नए स्थान पर हमें कौन-कौन से लाभ मिल सकते हैं।

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