सीख; संत लाखा जी एक घर के बाहर खड़े हुए तो उन्होंने सुना कि अंदर एक महिला अपने बेटे से कह रही थी, ‘जा, देख सेठ जी मर गए हैं, पूरे गांव में खबर है, तो तू जाकर देख कि सेठ जी स्वर्ग के रास्ते पर गए या नर्क के रास्ते पर……
राजस्थान के एक गांव में संत लाखा जी घूम रहे थे। उन्हें कोई भिक्षा दे दे तो वे खा लेते थे। उन्हें भूख नहीं लगती थी। जब इस बारे में लोग पूछते तो वे कहते, ‘मैं सुबह गीता पढ़ लेता हूं और शाम को विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर लेता हूं। इससे मेरा पेट भर जाता है। फिर भी अगर कोई भिक्षा दे तो मैं भौतिक पेट भर लेता हूं।’
एक दिन घूमते-घूमते वे एक घर के बाहर खड़े हुए तो उन्होंने सुना कि अंदर एक महिला अपने बेटे से कह रही थी, ‘जा, देख सेठ जी मर गए हैं, पूरे गांव में खबर है। तो तू जाकर देख कि सेठ जी स्वर्ग के रास्ते पर गए या नर्क के रास्ते पर गए।’
ये बात सुनकर संत लाखा जी चौंक गए और सोचने लगे कि ये महिला अपने बेटे को पता लगाने भेज रही है कि मरने वाला सेठ स्वर्ग में गया है या नर्क में।
थोड़ी देर बाद वह बेटा आया और उसने अपनी मां से कहा, ‘वह सेठ को नर्क गया है।’
संत लाखा जी ये सुनकर और ज्यादा चौंक गए। वे अंदर गए और उस महिला से पूछा, ‘आप में ये विद्या कहां से आई और कमाल तो ये है कि आपका बेटा भी ये विद्या जानता है कि कौन स्वर्ग गया है और कौन नर्क गया है। मैं आपको प्रणाम करता हूं।’
उस महिला ने कहा, ‘आप प्रणाम न करें। आप तो साधु हैं। ये मालूम करना तो बहुत आसान है कि कौन कहां गया? किसी व्यक्ति के मरने के बाद लोग उसके पीछे आलोचना करें, उसके कुकर्मों को याद करे तो समझ लें कि वह व्यक्ति नर्क गया। अगर मरने वाले व्यक्ति की प्रशंसा की जाए, यश गान किया जाए तो समझ लें कि वह स्वर्ग गया। सेठ के मरने के बाद सभी उसकी आलोचना कर रहे थे, क्योंकि उसने जीवन भर भलाई का कोई काम नहीं किया। दूसरों का शोषण किया, इसलिए वह नर्क गया। मेरा बेटा भी ये बातें जानता है।’
संत लाखा जी ने उस महिला से कहा, ‘आज आपने बहुत अच्छी बात बताई है। जब व्यक्ति अच्छे काम करता है तो उसे स्वर्ग मिलता है।’
सीख
मरने वाले व्यक्ति के बार में जो कुछ कहा जाता है, उससे तय हो जाता है कि उस व्यक्ति ने अच्छे काम किए हैं या नहीं। जीते जी अच्छे काम करें, जीवन के अंतिम समय में अच्छे काम ही याद किए जाएंगे।