शादी में बाप ने कर डाली ऐसी हरकत की देखकर मेहमान भी हो गए दंग, बेटी को गिफ्ट में दी ऐसी चीज कि छूट गया दूल्हे का पसीना

यूपी के गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र के कुसलिया गांव में एक किसान ने अपनी बेटी की शादी में अनोखी मिसाल पेश की है. गाड़ी के बजाय दुल्हन के बाप ने दामाद को गिफ्ट में ट्रैक्टर गिफ्ट किया है. दुल्हन का पिता किसान हैं

सर्दी का सीजन चल रहा है. इन दिनों शादियों की हर रोज अनोखी खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. हाल ही में एक शादी काफी चर्चा में जो यूपी के गाजियाबाद की है. शादी की चर्चा होने की वजह कोई और नहीं बल्कि दुल्हन का बाप है. दरअसल, बाप ने अपनी बेटी की शादी में ऐसी चीज गिफ्ट की जिसे देख दूल्हे के साथ-साथ मेहमानों के भी पसीने छूट गए. वहीं हर कोई बाप की तारीफ करते नजर आ रहा है. बताते चलें कि पिता ने अपनी बेटी की शादी में कार या मोटरसाइकिल नहीं बल्कि दामाद को ट्रैक्टर गिफ्ट किया है.

यह मामला गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र के कुसलिया गांव का है. जहां एक किसान ने अपनी बेटी की शादी में महंगी गाड़ी देने के बजाय ससुराल पक्ष को गिफ्ट में ट्रैक्टर दिया है. किसान की अब खूब सराहना हो रही है. पूछे जाने पर लड़की के पिता ने बताया, “मैंने सोचा कि ससुराल पक्ष पर किसी तरह का बोझ न पड़े. मेरी बेटी का ससुराल पक्ष भी किसान है, इसलिए हमने सलाह-मशवरा कर ट्रैक्टर देने का फैसला किया.” उन्होंने आगे कहा कि मैंने अपनी बेटी की शादी रिश्तेदारी में ही की है. मेरी बेटी की जिस घर में शादी हो रही है वह घर भी किसान है, मेरा दामाद भी किसानी करता है. जिसके बाद मैंने बेटी के ससुरालवालों से पूछा कि आपको क्या चाहिए कार या ट्रैक्टर? इस पर उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर.

उन्होंने आगे बताया कि कार में कई तरह के खर्चे हैं, बीमा, सर्विस और अन्य, जो काफी महंगे है. वहीं ट्रैक्टर से आप अपने खेत का पूरा काम कर सकते हैं और अन्य खेतों में भी काम हो सकता है. वहीं लड़की के बाप ने हर किसान से अपील करते हुए कहा कि अपनी बेटी की शादी में दामाद को जरूरत का सामान दे, अगर वह टेंपो चलाता है तो टेंपो दे और अगर रिक्शा चलाता है तो रिक्शा दे.

परिवार के अन्य सदस्य भी इस फैसले से बेहद खुश हैं. परिजन हुमायूं मिर्जा ने इसे एक सकारात्मक पहल बताया. उन्होंने कहा कि यह एक बेहतरीन उदाहरण है. यह दिखाता है कि कैसे एक किसान अपने परिवार की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फैसले लेता है. सकील बेग के इस फैसले ने न केवल क्षेत्र में बल्कि समाज में भी एक नई सोच को बढ़ावा दिया है. ये पहल बताती है कि दिखावे से ज्यादा जरूरी व्याहारिकता जरूरी है यह एक सकारात्मक सोच है.

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