बच्चों ने करने से पहले पूछा- हमें क्यों मिली, पापा की सजा, फिर हैवान दादा ने दिया कुछ ऐसा जवाब
जोधपुर में दो बच्चों के हत्याकांड के बाद पूरे क्षेत्र में सनसनी का माहौल है. पुलिस ने आरोपी को महज 12 घंटों के अंदर ही गिरफ्तार कर लिया है. पूछताछ में आरोपी ने जो चौंकाने वाले खुलासे किए हैं उसे सुनकर हर कोई बस स्तब्ध रह गया.
बच्चों मैं तुम्हें इसलिए मार रहा हूं ताकि तुम्हारे पापा को याद रहे कि मुझे धोखा देकर उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है… यह उस शख्स के शब्द हैं जिसने नृशंस हत्याकांड को अंजाम दिया है. समाज में शख्स को सभी ‘दाता’ कहकर बुलाते थे क्योंकि वह सभी की मदद के लिए हमेशा आगे रहता था. वहीं उसके पार्टनर के बच्चे उसे दादा-दादा कहकर बुलाते थे. लेकिन कुछ पैसों का लेनदेन और बदले की भावना ने एक शख्स को इंसान से हैवान बनाकर रख दिया. पिता से बदला लेने की ऐसी सनक चढ़ी कि जिन बच्चों को उसने अपनी गोद में खिलाया उन्हें ही तड़पा-तड़पाकर मार डाला. बच्चे रोते रहे, बिलखते रहे… दादा-दादा कहकर पूछते रहे कि आखिर हमारी क्या गलती? लेकिन उस शख्स का दिल नहीं पसीजा और बच्चों को बेरहमी से मार डाला. इसके बाद उसने दोनों बच्चों की लाशों को फंदे से लटकाया और पिता के लिए नोट भी छोड़ा.
इंसानियत को तार-तार करने वाला यह नृशंस हत्याकांड राजस्थान के जोधपुर के बोरानाडा थाना क्षेत्र में हुआ है. हत्या के आरोप में पुलिस ने जिस शख्स को गिरफ्तार किया है उसका नाम है फलोदी निवासी मुकुंद थानवी उर्फ श्याम सिंह भाटी. यह नाम बोरानाडा क्षेत्र में खौफ का दूसरा पर्याय बन गया है. श्याम सिंह भाटी को स्थानीय लोग दाता कहकर बुलाते थे. कारण था उसकी दरियादिली. इस हत्याकांड की कहानी किसी साइको किलर मूवी से कहीं अलग है. इस कहानी की शुरुआत 15 साल पहले हुई थी. जब यूपी के रायबरेली का रहने वाला प्रदीप पाल राजस्थान पहुंचा था. वह एक चूड़ी बनाने वाली फैक्ट्री में काम करने लगा. इसी फैक्ट्री में उसकी मुलाकात अपनी असली पहचान छिपाए शख्स श्याम सिंह भाटी से हुई. श्याम ने प्रदीप से अपना बिजनेस शुरू करने की बात कही. प्रदीप मान गया लेकिन उसने पैसों की परेशानी बताई जिस पर श्याम ने खुद पैसे लगाने की बात कही.
यहां से एक नई कहानी की शुरुआत हुई. जहां श्याम एक बड़े भाई की तरह हो गया और प्रदीप उसके छोटे भाई की तरह. दोनों एक साथ बिजनेस करने लगे. दिन बीतते गए, प्रदीप के यहां दो बच्चे हुए. बच्चे धीरे-धीरे बड़े हो रहे थे. बड़ी बेटी 12 साल की तमन्ना और छोटा बेटा 8 साल का शिवपाल था. दोनों की परवरिश अच्छे से हो रही थी. श्याम का आना-जाना भी प्रदीप के घर होता रहता था. दोनों बच्चे श्याम को दादा-दादा कहकर बुलाते थे. श्याम सिंह भाटी न सिर्फ प्रदीप के परिवार की बल्कि आस-पास के इलाके में रहने वाले सभी लोगों की मदद करता रहता था इसलिए स्थानीय लोग उसे ‘दाता’ नाम से बुलाते थे. दिन यूं ही गुजर रहे थे, लेकिन कुछ दिन पहले ही प्रदीप ने कुछ परेशानियों के चलते श्याम का साथ छोड़ दिया. प्रदीप दूसरी जगह काम करने लगा. प्रदीप के जाने के बाद श्याम को बिजनेस में घाटा होने लगा. यह बात श्याम सिंह को बिलकुल भी गवारा नहीं गुजरी.
श्याम सिंह का कुछ लेन-देन भी प्रदीप के साथ रह गया था. जांच में पता चला है कि श्याम सिंह को प्रदीप से करीब 50-60 हजार रुपये चाहिए थे. इतने से पैसों को लेकर श्याम सिंह दिन-रात परेशान रहने लगा. आखिर में उसने प्रदीप से बदला लेने की ठान ली. बदला प्रदीप से लेना था इसलिए श्याम के दिमाग में एक बात साफ थी कि प्रदीप को नहीं मारना है. बल्कि उसे ऐसा दुख देना है कि पूरे जीवनभर प्रदीप को पछतावा रहे. यहीं से उसके दिमाग में उस खौफनाक साजिश ने जन्म लिया जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया.
प्रदीप का परिवार श्याम सिंह पर विश्वास करता था साथ ही बच्चे उसे जानते थे. 24 जनवरी को श्याम प्रदीप के घर पहुंचा और वहां से बच्चों को स्कूल छोड़ने की बात कहकर अपने साथ ले गया. बच्चों को बातों में फुसलाकर श्याम अपनी फैक्ट्री पर ले गया और दोनों को अंदर बंद कर लिया. इसके बाद श्याम सिंह ने दोनों बच्चों को मारना शुरू किया. बच्चे रोते-बिलखते हुए उससे पूछ रहे थे कि वह उन्हें क्यों मार रहा है? बच्चों ने पूछा कि ‘पापा की गलती की सजा हमें क्यों दे रहे हो?’ इस पर श्याम सिंह ने बच्चों से कहा कि अगर वह प्रदीप का मारेगा तो सिर्फ उसके बच्चे अनाथ होंगे लेकिन अगर वह उन दो मासूम बच्चों को मार देगा तो प्रदीप को इस बात का अहसास हमेशा रहेगा कि श्याम के साथ धोखा करके उन्होंने कितनी बड़ी गलती कर दी.
पुलिस ने हत्याकांड के बाद आरोपी को महज 12 घंटे के अंदर ही गिरफ्तार कर लिया. आरोपी ने बच्चों की हत्या के बाद एक नोट छोड़ा था जिसमें उसने प्रदीप से मिले धोखे वाली बात लिखी और बच्चों की हत्या का जिक्र किया. इसके अलावा श्याम सिंह ने नोट में खुद भी खुदकुशी करने जाने की बात लिखी थी. श्याम वहां से भागते-भागते नाथद्वारा पहुंच गया जहां पर छिपकर रह रहा था. पुलिस ने आरोपी को पकड़ लिया है. पूछताछ में उसने आरोप कबूल किया है और बच्चों को कैसे मारा और उनसे आखिरी क्या बातचीत की यह भी बताया है. इस हत्याकांड ने लोगों के जेहन में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर 15 साल के संबंध होने के बावजूद शख्स ने ऐसा किया है तो आखिर किस पर भरोसा किया जाए?