15 साल का एक लड़का रेलवे स्टेशन पर पानी बेचकर अपना जीवन-यापन करता था, एक दिन ट्रेन में बैठे हुए एक सेठ ने उसे अपने पास बुलाया, वह लड़का उस सेठ के पास पहुंचा, सेठ उससे बोला पानी की बोतल……

15 साल का एक लड़का रेलवे स्टेशन पर पानी बेचकर अपना गुजारा करता था। एक दिन जब वह पानी बेच रहा था तो ट्रेन में बैठे एक सेठ ने उसे बुलाया। लड़का सेठ के पास पहुंचा तो सेठ ने उससे पूछा कि पानी की बोतल कितने रुपए की है? लड़के ने कहा- 10 रूपए की। सेठ ने उससे कहा कि 7 रूपए में देगा क्या? सेठ की बात सुनकर लड़का मुस्कुराकर उनके हाथ से पानी की बोतल लेकर आगे चला गया।

सेठ के पास बैठा एक संत यह सब देख रहा था। वह यही सोच रहा था कि आखिर लड़का मुस्कुराया क्यों? इसके पीछे जरूर कोई रहस्य है। इसके बाद महात्मा ट्रेन से उतरकर उस लड़के के पीछे गए और फिर लड़के के पास जाकर पूछा कि सेठ ने जब मोल-भाव किया तो तुम क्यों मुस्कुरा रहे थे? तब लड़का बोला कि महाराज में इस वजह से हंस रहा था, क्योंकि सेठ जी को प्यास नहीं लगी थी। वह तो केवल बोतल का रेट पूछ रहे थे।

फिर महात्मा ने उससे कहा- तुम्हें कैसे पता कि सेठ जी को प्यास लगी ही नहीं थी? तो लड़के ने जवाब दिया कि जिसको वाकई में प्यास लगी होती है, वह सबसे पहले बोतल लेकर पानी पीता है। उसके बाद पानी का रेट पूछता है? पहले कीमत पूछने का अर्थ है कि प्यास लगी ही नहीं है। संत लड़के की बात को समझ गया और दोबारा ट्रेन में जाकर बैठ गया।

लाइफ मैनेजमेंट

हर व्यक्ति का कुछ ना कुछ लक्ष्य होता है और वह उसे पाना चाहता है। जो लोग बिना तर्क-कुतर्क के अपने लक्ष्यों को पाने में लग जाते हैं, वह उसे पाकर ही दम लेते हैं। जबकि कुछ लोग हर कामों में कमी निकालते रहते हैं और सोच विचार में ही उलझे रहते हैं। इस वजह से वे अपने लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाते।

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