स्कूल नहीं आती थी टीचर, लेकिन फिर भी 6 साल तक लेती रही सैलरी, प्रिंसिपल ने कर रखा था ऐसा जुगाड़
मेरठ के एक प्राथमिक विद्यालय से अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां एक स्कूल टीचर अपनी नियुक्ति के बाद हजारों दिन स्कूल नहीं आई. लेकिन हर महीने सैलरी लेती रही. जानिए कैसे?
भारत में गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए सरकार ने कई स्कूल खोल रखे हैं. इसमें पढ़ाई की गुणवत्ता बनी रहे, इसके लिए बाकायदा टीचर्स की बहाली होती है. एग्जाम पास करने के बाद ही टीचर्स की नियुक्ति की जाती है. लेकिन कई टीचर्स नौकरी लगते ही अपने असली रंग दिखाने लगते हैं. स्कूल ना आना, छुट्टी पर छुट्टी लेना और सरकारी नौकरी का फायदा उठाना. ऐसी ही एक टीचर को मेरठ की बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी ने निलंबित कर दिया.
मामला मेरठ के परीक्षितगढ़ के एक प्राथमिक विद्यालय का है. यहां एक टीचर ने नियुक्ति के बाद स्कूल आना ही बंद कर दिया. बहाली के बाद 2920 दिन में टीचर मात्र 759 दिन ही स्कूल आई थी. बाकी के दिनों में वो नदारद थी. लेकिन इसके बाद भी टीचर के खाते में लगातार सैलरी क्रेडिट हो रही थी. जब चेकिंग की गई तो पता चला कि टीचर की अटेंडेंस लगातार बनती जा रही थी. इस कारण उसकी सैलरी क्रेडिट की जा रही थी. इस मामले में अब एक्शन लिया गया है.
टीचर सुजाता यादव लंबे समय से स्कूल नहीं आई थी. उनकी अनुपस्थिति की वजह से बच्चों की पढ़ाई काफी ज्यादा प्रभावित हो रही थी. जब बार-बार छुट्टी के एप्लिकेशन अप्प्रूव हुए, तब ये मामला संज्ञान में आया. जब टीचर की अटेंडेंस रजिस्टर जांची गई तो पता चला कि स्कूल ना आने के बाद भी उसकी पूरी हाजरी बनी हुई थी. इसके बाद जांच कमिटी बैठी तो मामले में टीचर को सस्पेंड कर दिया गया. उसके साथ ही साथ स्कूल के प्रिंसिपल धर्म सिंह भी नप गए.
पता चला कि टीचर के ऊपर हेडमास्टर साहब का हाथ था. वो स्कूल ना आने के बाद भी सुजाता यादव की अटेंडेंस लगा रहे थे. मामले में त्रिस्तरीय जांच कमिटी बिठाई गई और जरुरत से ज्यादा छुट्टी लेने के मामले की जांच की गई. पता चाला कि हेडमास्टर को सब पता था लेकिन उसने जानकारी छिपाई. ऐसे में टीचर और हेडमास्टर दोनों को सस्पेंड कर दिया गया.