AI ने सुलझा दिया 19 साल पुराना मर्डर केस, बड़ी ही दिलचस्प है जुड़वा बच्चों और मां के कातिलों को पकड़ने की कहानी

AI और तकनीक ने 19 साल पुराने कोल्लम हत्याकांड को सुलझाने में मदद की. आरोपियों की पुरानी तस्वीरें मॉडर्न तकनीक से विकसित की गईं, जिससे पुडुचेरी में नई पहचान के साथ रह रहे आरोपी पकड़े गए, तो चलिए जानते हैं पूरी कहानी…

लाइन तो आपने कई बार सुनी होगी कि न्याय की लड़ाई बहुत ही ज्यादा लंबी होती है, लेकिन न्याय जरूर मिलता है. आज हम आपको एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना के बारे में बताते हैं. ये कहानी है न्याय की लड़ाई की, जो 19 साल बाद आखिरकार अपने मुकाम पर पहुंची. सबसे खास बात ये है कि 19 साल बाद, AI और टेक्नोलॉजी की मदद से यह केस सुलझा और आरोपी सलाखों के पीछे पहुंच गए.

10 फरवरी 2006 का दिन था. केरल के कोल्लम जिले में अंचल नाम की एक जगह पर, संतम्मा, पंचायत ऑफिस से लौट रही थीं, लेकिन जब वो घर पहुंचीं, तो उसके सामने का दृश्य डराबना था. उसकी बेटी रंजीनी और उसके 17 दिन के जुड़वां बच्चे खून में लथपथ पड़े थे. तीनों के गले काट दिए गए थे. घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने तुरंत मामले में जांच शुरू की और शक के घेरे में आए दो लोग—दिविल कुमार और राजेश, जो सेना के जवान थे और उस समय पठानकोट के मिलिट्री बेस में तैनात थे को पकड़ने की कोशिश की. हालांकि, ये दोनों संदिग्ध फरार हो गए.

घटना हो गई, जांच भी शुरू हुई, हालांकि, समय बीतता गया. मामला ठंडे बस्ते में चला गया, लेकिन… कहते हैं न, न्याय में देर हो सकती है, पर अंधेर नहीं. 2023 में, केरल पुलिस की तकनीकी खुफिया विंग (Technical Intelligence Wing) ने पुराने मामलों की जांच के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया. पुरानी तस्वीरों को मॉडर्न तकनीक से इस तरह विकसित किया गया कि आरोपी 19 साल बाद कैसे दिख सकते हैं, इसका अंदाजा लगाया गया.

आखिरकार, एक शादी की फोटो में, सोशल मीडिया पर 90% समानता का संकेत मिला. बता दें कि यह फोटो पुडुचेरी के एक व्यक्ति की थी, जो अब “प्रवीण कुमार” के नाम से जाना जा रहा था. जिसके बाद मामले में जांच आगे बढ़ी, और राजेश और दिविल कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, केरल के ADGP (लॉ एंड ऑर्डर) मनोज अब्राहम ने बताया कि उनकी टेक्निकल इंटेलिजेंस टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके लंबे समय से पेंडिंग इस केस को सुलझाया. उन्होंने कहा कि आरोपियों की पुरानी तस्वीरों को AI की मदद से उनके 19 साल बाद के संभावित लुक में विकसित (Evolved into a potential look) किया गया और इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर मौजूद फोटोज से मैच किया गया. एक आरोपी की AI जनरेटेड इमेज फेसबुक पर शेयर की गई एक शादी की फोटो से 90% मेल खाई. इसके बाद राजेश को पुडुचेरी में ट्रैक किया गया और उससे दिविल का पता लगाया गया. बता दें कि लगभग 20 साल बाद, 4 जनवरी 2025 को CBI ने दोनों आरोपियों को पुडुचेरी से गिरफ्तार किया. ये दोनों वहां नई पहचान के साथ रह रहे थे. दोनों इंटीरियर डिज़ाइन का काम कर रहे थे. दिविल ने अपना नाम विष्णु और राजेश ने प्रवीण कुमार रख लिया था.

इस पूरे मामले की बात करें तो पुलिस के अनुसार, संतम्मा की बेटी रंजीनी और दिविल, एक ही गांव के रहने वाले थे. दोनों के बीच रिश्ता था, लेकिन जब रंजीनी ने गर्भवती होने की बात कही, तो दिविल ने मुंह मोड़ लिया और पठानकोट चला गया. बच्चों को जन्म देने की जिद से उनका रिश्ता बिगड़ गया.

इसके बाद जनवरी 2006 में, रंजिनी ने तिरुवनंतपुरम के अस्पताल में जुड़वां बेटियों को जन्म दिया. इसी दौरान, राजेश ने ‘अनिल कुमार’ बनकर रंजिनी से दोस्ती की और मदद का भरोसा दिया. बता दें कि राजेश और दिविल, सेना में सहकर्मी थे और दोनों ने मिलकर रंजिनी को मारने की साजिश रची.

बच्चों के जन्म के बाद रंजिनी ने राज्य महिला आयोग पहुंची और जहां से आदेश मिला कि दिविल को बुलाकर बच्चों की पितृत्व जांच (paternity of the children) के लिए DNA टेस्ट कराया जाए. इसके बाद राजेश ने रंजिनी की मां को पंचायत ऑफिस जाने के लिए मना लिया. इसी बीच, उसने रंजिनी और उसके बच्चों की हत्या कर दी. मामले में हत्या के बाद क्राइम सीन पर मिली दोपहिया गाड़ी के रजिस्ट्रेशन ने पुलिस पठानकोट के मिलिट्री कैंप तक पहुंची, लेकिन आरोपी वहां से फरार हो चुके थे.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रंजिनी की मां संथम्मा ने बताया कि एक साजिश के तहत राजेश ने खुद को अनिल कुमार बताता था. उसने अस्पताल में उनके करीब आने की कोशिश की और खून की जरूरत का बहाना बनाकर उनके आसपास मंडराता रहा. यहां तक की कि किराए के घर में शिफ्ट होने के बाद भी राजेश वहां आता-जाता रहा. दिविल के परिवार ने उनकी बेटी के चरित्र पर सवाल उठाए थे, जिस कारण उनकी बेटी ने DNA टेस्ट की मांग की थी.

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