एक बार एक राजा महावीर स्वामी से मिलने आया, राजा स्वामी जी से बोला मुझे मन की शांति चाहिए, इसके लिए मैं क्या कीमत चुका सकता हूं, महावीर स्वामी ने उससे कहा कि तुम्हारे राज्य…..
एक राजा अपने सेवकों के साथ भगवान महावीर के पास गए और उसे बोले- हे प्रभु ! मेरे पास हर वो चीज है जिसे मनुष्य इस दुनिया में पाना चाहता है। अब मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि मैं अपूर्ण हूं। मैंने सुना है आपने समाधि जैसी कोई चीज प्राप्त कर ली है। क्या मैं भी उसे प्राप्त कर सकता हूं? इसके लिए मैं कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं।
राजा की ये बात सुनकर भगवान महावीर मुस्कुराने लगे और उससे कहा- अगर आप समाधि पाना चाहते हैं तो आपके राज्य में एक बहुत गरीब व्यक्ति रहता है, उसने भी समाधि प्राप्त कर ली है। गरीब होने के कारण शायद वो आपको बेच दे। इस परिस्थिति में वह आपकी मदद कर सकता है।
राजा भगवान महावीर की यह बात सुनकर व्यक्ति के पास गए। राजा ने देखा वह व्यक्ति टूटी-फूटी झोपड़ी में रहता है। राजा ने उसे मिलने के लिए बाहर बुलाया और उसे बोले कि तुम्हें जितना धन चाहिए, मुझसे ले लो। लेकिन इसके बदले मुझे समाधि दे दो। राजा की यह बात सुनकर व्यक्ति ने कहा- महाराज, यह संभव नहीं है।
राजा ने कहा- ऐसा क्यों? उस व्यक्ति ने राजा से कहा- समाधि मन की स्थिति है, ना कि कोई वस्तु जिसे आप खरीद सके। समाधि पाने के लिए निरंतर आध्यात्मिक अभ्यास करना पड़ता है। समाधि का अर्थ है मन की शांति। जब आपके मन में किसी तरह की भावना ना हो, उसी अवस्था में आप समाधि यानी मन की शांति को प्राप्त कर सकते हैं।
राजा को यह बात समझ में आ गई कि वह समाधि नहीं खरीद सकता। बल्कि उसे इसे अपने तप के बल कर ही प्राप्त करना होगा। इसके बाद वह राजा भगवान महावीर के पास गए और उनके शिष्य बन गए।
लाइफ मैनेजमेंट
भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे पास सब कुछ है। लेकिन मन की शांति नहीं है। मन की शांति पाने के लिए हमें अपने मन को निर्मल करना पड़ता है। यानी इसके अंदर जो भी भावनाएं जैसे-अहंकार, घृणा, द्वेष को बाहर निकालना पड़ता है, तभी हम मन की शांति प्राप्त कर पाते हैं।