भिक्षा मांगने के लिए आया एक साधु, जब घर से बाहर आई महिला तो नजर पड़ते ही बोली- प्राणनाथ; फिर आगे जो हुआ……

मिर्जापुर जिले के चुनार तहसील के जमालपुर में 15 फरवरी की सुबह-सुबह एक शख्स साधु के वेश में पहुंचा. उसने अपना नाम अमरनाथ बाबा बताया. दरवाजे पर शोर सुनकर महिला बाहर आई. नजर मिलते ही वह साधु के चरणों में गिर पड़ी. उसने कहा कि 27 साल से आपका इंतजार कर रही थी, कहां चले गए थे. अमरनाथ ने घर पर ठहरने को लेकर जो जवाब दिया, उसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया.

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में 27 साल से गायब व्यक्ति जब घर लौटा तो परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई. प्रयागराज महाकुंभ स्नान करने आए व्यक्ति को स्नान के बाद घर और मां की याद आयी तो वह घर अपनों के बीच लौट आया. मामला चुनार तहसील के जमालपुर का है. यहां के अमरनाथ गुप्ता 1998 में मन में संन्यास का भाव आने पर घरवालों को बिना बताए वृंदावन चले गए थे. परिजनों ने उनको खूब तलाशा लेकिन कहीं पता नहीं चला. परिजनों ने भी उन्हें मृत मान लिया था मगर अचानक 15 फरवरी 2025 को वह वापस घर आ गए. घर पर जब पहुंचे तो उनकी पत्नी चंद्रावती ने उन्हें देखा तो आवक रह गई. पूरा घर हैरान था. उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

संन्यासी जीवन में आने के बाद उन्होंने अपना नाम अमरनाथ बाबा कर लिया था. वृंदावन जाने के बाद पूरे भारत मे तीर्थों का भ्रमण किया है. चारों धाम की यात्रा की. घर की याद कैसे आयी यह पूछने पर अमरनाथ गुप्ता का कहना है कि 13 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ में आए थे. वहां पर कुंभ स्नान किया. इसके बाद अचानक घर की और मां की याद आई तो घर लौट आए.

अमरनाथ ने बताया, ’27 साल बाद वापस घर लौटा हूं. घर से 1998 में निकला था. 27 साल से बाहर हूं. यहां से वृंदावन गया. चारों धाम किया. इसके बाद तीर्थाटन किया. 13 तारीख को महाकुंभ आया था. मां की याद आई तो सोचा उनके दर्शन कर लूं, इसलिए वापस आ गया. 15 फरवरी को सुबह-सुबह आया था. सभी तो नहीं लेकिन घर के कुछ लोग पहचान गए थे. साधु बन गया हूं तो आगे का जीवन भी इसी तरह व्यतीत करूंगा. अभी मैं फिर से चला जाऊंगा. राम मंदिर में मैंने कार सेवा की है. उसके लिए जेल भी गए थे. राम मंदिर बना तो बहुत अच्छा लगा.’

घर छोड़ने की वजह का खुलासा करते हुए अमरनाथ ने बताया, ‘मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. शारीरिक स्वास्थ्य भी ठीक नहीं था. घबराहट हुई तो मन में भजन का ख्याल आया. फिर मैं वृंदावन चला गया. कुरुक्षेत्र और राजस्थान में भी रहा. वहीं पर दीक्षा ले ली. महाकुंभ में लगा कि माता-पिता से एक भेंट कर लूं. यहां आया तो पता चला कि पिता जी का स्वर्गवास हो गया है. माताजी के दर्शन हुए हैं. भजन-पूजन का भाव बहुत पहले थे. घर को कोई भूल नहीं सकता. घर लौटने की इच्छा को बार-बार दबा देता था. प्रयागराज में अचानक आत्मा से आवाज आई और घर आ गया.’

पत्नी चंद्रावती ने कहा, ‘बच्चे जब बहुत छोटे थे, तभी से वह पहाड़ी पर पूजा-भजन की बात करते थे. दो लड़कों की शादी हो चुकी थी. दो लड़कियों की शादी रह गई थी. मुझे कोई खर्चा नहीं देता था. मैंने की जगह भीख मांगी. भाई-बहन से मदद मांगी. हमें बहुत खुशी हो रही है. हम भोले बाबा से हमेशा उनके लिए प्राथना करते थे. उन्होंने ही मेरे पति को वापस भेजा है.’

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