प्रेरक प्रसंग: किसी गांव के बाहर एक सांप रहता था, गांव के लोग उससे बहुत परेशान थे, एक बार गांव में एक संत आए, उन्होंने एक मंत्र बोला तो उस सांप ने…..

किसी गांव के लोग एक सांप से बहुत ही परेशान थे। वह सांप गांव के बाहर रहता था। लेकिन लोग वहां से आते -जाते तो वह उन्हें डंस लेता। गांव में 1 दिन महान और प्रसिद्ध संत आए। वह कुछ दिनों तक गांव में रुके। फिर उन्हें दूसरे गांव में जाना था।

लेकिन उनके सामने बहुत बड़ी परेशानी थी। जिस रास्ते से उन्हें जाना था वहां पर सांप रहता था। गांव के लोगों ने संत को रास्ते से जाने से मना किया। संत बोले मुझे सांप के डंसेगा का भय नहीं है। मैं एक मंत्र जानता हूं, जिससे सांप मुझे नहीं डंसेगा।

संत उस मार्ग पर आगे बढ़ने लगे तो तुरंत ही सांप निकल आया और उनको डंसने की कोशिश करने लगा। लेकिन संत ने भी एक मंत्र फूंक दिया, जिसके बाद सांप संतो के चरणों में गिर गया और संत को नहीं डंसा। संत ने सांप से कहा कि तू गांव के किसी भी व्यक्ति को नहीं डंसेगा। तू भगवान की भक्ति कर तेरा भला होगा। उसके बाद किसी भी व्यक्ति को सांप ने नहीं डंसा।

लेकिन जब गांव के लोगों को पता चला कि वह सांप किसी व्यक्ति को नहीं डंसता है तो गांव के लोगों उसे परेशान करने लगे। वह आते-जाते सांप को पत्थर मारते। एक दिन तो एक व्यक्ति ने उसे पूछ पकड़ कर उठा लिया। इसके बाद उसको जमीन पर जोर से पटक दिया।

सांप चोट की वजह से बेहोश गया। होश आने के बाद सांप अपने बिल में चला गया। उस दिन से वह सांप बिल से बाहर नहीं निकलता था। वह धीरे-धीरे करके कमजोर हो गया।

एक बार वही संत फिर से गांव में वापस आए तो उन्हें पता चला कि गांव के लोगों ने सांप के साथ कैसा व्यवहार किया। वह सांप को ढूंढते-ढूंढते उसके पास पहुंच गए। उन्होंने सांप को आवाज लगाई तो सांप संत की आवाज सुन कर बाहर आ गया।

संत ने साप से कहा कि मैंने तुम्हें सिर्फ डंसने के लिए मना किया था। लेकिन तुम दुष्ट लोगों को फूंफकार सकते थे जो तुम्हें परेशान करते थे, जिससे कि वे दुष्ट लोग तुम्हें कोई हानि ना पहुंचा पाए। सांप को संत की बात समझ में आ गई। अब सांप उन लोगों को डराने लगा जो उसे परेशान करते थे।

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि हर किसी को आत्मरक्षा का अधिकार है। अपनी आत्मरक्षा के लिए लोगों को डराना बुरी बात नहीं होती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इससे किसी को भी नुकसान ना पहुंचे।

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