एक बार जंगल के राजा शेर ने हंस अपना मंत्री बना लिया, एक दिन जंगल में एक गरीब ब्राह्मण आया, उसने हंस को अपनी सभी परेशानियां बताईं, हंस ने राजा शेर……

एक जंगल में शेर रहता था। शेर जंगल का राजा था। शेर ने अपना मंत्री हंस को बनाया था। हंस बहुत धार्मिक था और हमेशा दूसरों की मदद करता था। जंगल के पास एक गांव था, जहां एक गरीब ब्राह्मण रहता था। एक दिन ब्राह्मण ने सोचा कि मैं दूसरे गांव जाकर धन कमाकर लाता हूं। ब्राह्मण दूसरे गांव के लिए निकल पड़ा। रास्ते में जंगल पड़ा।

जंगल में ब्राह्मण को हंस मिला तो उसने ब्राह्मण से कहा कि यहां बड़े-बड़े भयानक जंगली जानवर हैं, आप यहां से जल्दी से जल्दी चले जाओ, वरना आपके प्राणों को खतरा है। ब्राह्मण ने हंस को अपनी परेशानी बताई। हंस को उस पर दया आ गई और वह जंगल के राजा शेर के पास गया और ब्राह्मण की मदद करने के लिए कहा।

शेर को भी अपने मंत्री की बात सही लगी तो उसने ब्राह्मण को ढेर सारे सोने के आभूषण भिजवा दिए। ब्राह्मण सोने के आभूषण पाकर खुश हो गया और अपने गांव वापस लौट गया। कुछ ही दिन बाद ब्राह्मण का धन खत्म हो गया तो फिर से वह जंगल में गया। लेकिन इस बार जंगल में सब कुछ बदल गया था।

हंस मर चुका था और शेर ने एक कौवे को अपना मंत्री बनाया। जैसे ही कौवे ने ब्राह्मण को देखा तो वह कांव-कांव करके शेर को बुलाने लगा। शेर कौवे की आवाज सुनकर उस ब्राह्मण के पास पहुंचा और उसे पहचान लिया। शेर ने ब्राह्मण से कहा- आप तो वही है, जिसे हमने पहले सोना दिया था।

कौवे ने कहा कि महाराज इसका शिकार कर लीजिए। हमने पिछली बार इसकी मदद की थी। लेकिन बार-बार मदद करने से इसकी आदत बिगड़ जाएगी। अगर हम आज मदद करेंगे तो ये फिर कल आ जाएगा। शेर ने कौवे की बात मानकर उसका शिकार कर लिया।

कथा की सीख

हम जैसे लोगों के साथ रहते हैं हमारा व्यवहार भी वैसा ही हो जाता है। शेर हंस के साथ था तो उसकी सोच अच्छी थी। लेकिन जब शेर बुरे व्यवहार वाले कौवे के साथ रहने लगा तो उसने बुरा ही किया।

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