जनवरी से लेकर दिसंबर तक आखिर कैसे पड़ें इन महीनों के नाम, बड़ी ही दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी

क्या कभी आपने इस बात को सोचा है कि कैलेंडर के बिना जिंदगी कैसी होती है। ना दिन की खबर होती है और ना ही महीनो की इसलिए महीनों का हमारी जिंदगी में सबसे बड़ा महत्व होता है। लेकिन कैलेंडर से जुड़े रहे थे कुछ शायद आप लोग नहीं जानते होंगे कि इसमें कैसे महीने का आविष्कार हुआ है और किसने किया है तो चलिए आज आपको बताते हैं।

जनवरी से लेकर दिसंबर तक कैसे पड़ें इन महीनों के नाम, पीछे है एक दिलचस्प कहानी

जनवरी का नाम सबसे पहले जेनस था. जनवरी महीने का नाम रोमन के देवता जेनस के नाम पर रखा गया है। फरवरी महीने का नाम लैट्रिन के ‘फैबरा’ यानि के ‘शुद्धि के देवता’ के नाम पर रखा गया। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि फरवरी महीने का नाम रोम की देवी के नाम पर रखा गया।

मार्च महीने का पहला नाम रोमन देवता यानी कि मार्च के महीने में रखा गया है। वहीं रोमन में वर्ष की शुरुआत भी मार्च महीने से ही होती है अप्रैल महीने का नाम लैटिन भाषा के एसपी राय से बना है जिसका मतलब होता है कलियों का खिलना मतलब कि में इस महीने में वसंत मौसम की शुरुआत होती है जिसमें फूल और कलियां खिलती है।

मई महीने के नाम केपीछे कहा जाता है कि रोमन के देवता मरकरी की माता मैया के नाम पर मई महीने का नाम पड़ा है। रोम के सबसे बड़े देवता ‘जीयस’ की पत्नी का नाम ‘जूनो’ था, और रोम की कहानी प्रस्तुत है कि जूनो से ही जून शब्द का निर्माण हुआ है

रोमन साम्राज्य के शासक जूलियस के नाम पर इस महीने का नाम रखा गया है। जिसका नाम जलाई है कहा जाता है कि ‘जुलियस सिजर’ का जन्म और मृत्यु से महीने में हुई थी अगस्त महीने का नाम सेंड ऑगस्ट के नाम पर रखा गया है।

सितंबर का नाम लैटिन भाषा के सेप्टेम’ से बना है। अक्टूबर के महीने के नाम लैट्रिन के एक शब्द से लिया गया है।

नवंबर का नाम लैटिन भाषा के नवम से बना है। जबकि साल के आखिरी महीने दिसंबर का नाम लैटिन के डेसिम से लिया गया है।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *