एक संत रोजाना अपने आश्रम में प्रवचन देते थे, एक दिन उनके पास एक व्यक्ति आया और बोला कि गुरुजी मुझे शराब की गंदी लत है, इससे मेरे जीवन में काफी परेशानियां…….
प्राचीन काल में एक संत अपने आश्रम में रहते थे. वह हर रोज प्रवचन देते थे. एक दिन एक व्यक्ति उनके पास आया और बोला गुरुजी मुझे शराब की लत लगी हुई है. इससे मेरी परेशानियां बढ़ती जा रही है. मैं इस लत को छोड़ना चाहता हूं. लेकिन छोड़ नहीं पा रहा हूं. मेरे मित्रों ने बताया कि आप मेरी यह समस्या हल कर सकते हैं. आप के प्रवचन सुनने से मेरी समस्या खत्म हो सकती है. इसीलिए मैं यहां हर रोज आपके प्रवचन सुनने आता हूं. लेकिन मुझे कोई फायदा नहीं हो रहा है.
संत ने उस व्यक्ति से कहा- तुम मेरे साथ चलो. संत उसे एक कमरे में लेकर गए. कमरे में एक दीवार पर उसकी परछाई दिख रही थी. संत ने उस व्यक्ति को एक लड्डू दिया और कहा कि क्या तुम यह लड्डू इस परछाई को खिला सकते हो. व्यक्ति बोला- गुरु जी यह कैसे संभव है. परछाई को लड्डू कैसे खिलाया जा सकता है.
संत ने कहा- यही तुम्हारे साथ भी हो रहा है. तुम अपनी परछाई को लड्डू खिलाने की कोशिश कर रहे हो. केवल प्रवचन सुनने से बुरी आदतों से मुक्ति नहीं मिल सकती. केवल अच्छी बातें सुनने मात्र से ही कोई सुधार नहीं सकता. इन बातों को अपने जीवन में उतारना भी पड़ता है. तुम अगर चाहते हो कि तुम्हारी बुरी आदतें छूट जाए तो तुम्हें खुद ही प्रयास करना होगा. तुम शराब छोड़ने का संकल्प लो और इसे छोड़ दो. तुम्हारी यह लत दूर हो जाएगी. व्यक्ति संत की बात समझ गया और उसने तुरंत शराब छोड़ने का संकल्प लिया.