अपने बेटे की पढ़ाई को लेकर मां हर वक्त चिंतित रहती थी, बेटे को रात भर पढ़ने के लिए जगाती, लेकिन बेटा हर बार टेबल पर सिर रखकर सो जाता था, मां को……
एक मां अपनी बेटी की पढ़ाई को लेकर बहुत चिंतित थी। उसका बेटा फुटबॉल का बेहतरीन खिलाड़ी था। लेकिन पढ़ाई में थोड़ा कमजोर था। जब बेटे की परीक्षाएं नजदीक आईं तो मां ने बेटे से कहा कि तू दिन में जितना फुटबॉल खेलता है, रात में उतनी पढ़ाई कर नहीं तो पास नहीं हो पाएगा। बेटे ने मां की बात मान कर रात में जागकर पढ़ने की कोशिश की। लेकिन थकान की वजह से वह सो जाता। मां ने जब बेटे को सोता हुआ देखा तो उसने फिर से बेटे को जगा दिया।
बेटा फिर से पढ़ने बैठ गया। यह रोज होने लगा। बेटा दिनभर खेलकर रात को पढ़ता। लेकिन थकान की वजह से वह सो जाता। परीक्षाएं खत्म हो गई। अब उसकी मां अपने बेटे के रिजल्ट का इंतजार कर रही थी। उसे लगा कि वह ना फेल हो जाए। लेकिन बेटा बेफिक्र होकर अपने खेल में लग गया। जब रिजल्ट आया तो बेटा 80% अंको से पास हुआ। बेटे की मार्कशीट देख कर उसकी मां हैरान है गई और अपने बेटे से पूछा की तूने जब पढ़ाई नहीं की तो तुझे 80% अंक कैसे मिले।
मां ने कहा कि तूने जरूर नकल की होगी। बेटे ने कहा कि नहीं मां, मैं अपनी मेहनत से पढ़कर पास हुआ हूं। मां ने पूछा कि तू रात में टेबल पर सो जाता तो मैं तुझे जगाती। तू फिर से सो जाता। तूने पढ़ाई कहां की। बेटे ने अपनी मां से कहा कि जब मैं पढ़ने बैठता तो थोड़ी देर में मुझे नींद आ जाती। लेकिन आप मुझे जगा देती। फिर मैं थोड़ी देर पढ़कर फिर सो जाता। मैंने थोड़ी-थोड़ी देर पढ़ाई की।
मां ने कहा कि अगर मैंने तुझे ना जगाया होता तो क्या होता। बेटे ने कहा कि मुझे आप पर भरोसा था कि आप मुझे जगायेंगे, क्योंकि मुझसे ज्यादा मेरी पढ़ाई की चिंता आपको है। यह बात मुझे अच्छी तरह से पता है। बेटे ने कहा- मैं आपके भरोसे ही सो जाता था। इस तरह मेरी पढ़ाई भी हो गई और आराम भी। जिस तरह आपको मेरी चिंता है, मुझे भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास है। बेटे की बात सुनकर मां भावुक हो गई और उसे अपने गले से लगा लिया।
कथा की सीख
इस कथा से ही सीख मिलती है कि बच्चों को अपने मां-बाप पर विश्वास करना चाहिए। जो बच्चे मां बाप पर विश्वास करते हैं, वे जिंदगी के किसी भी क्षेत्र में असफल नहीं होते। हर व्यक्ति का रिश्तो पर भरोसा करना बेहद जरूरी है।