एक शिष्य अपने जीवन से परेशान हो चुका था, एक दिन वह अपने गुरु से बोला आखिर में अपने इन दुखों को कैसे दूर कर सकता हूं, आप मुझे कोई उपाय बताइए, गुरु ने सोचा कि यह सवाल तो काफी छोटा……
एक प्राचीन कथा के मुताबिक किसी शिष्य ने अपने गुरु से कहा कि वह अपने जीवन से बहुत परेशान है, वह कैसे अपने दुखों को दूर करें। इसके लिए कोई उपाय बताएं। गुरु ने सोचा कि यह प्रश्न बहुत छोटा है, लेकिन इसका उत्तर समझा पाना बहुत मुश्किल है। उसने शिष्य से कहा कि मैं तुमको इसका उपाय बता दूंगा। लेकिन पहले तुम मेरा एक काम करो। गांव से किसी ऐसे व्यक्ति के जूते ले आओ, जो सबसे ज्यादा सुखी हो। शिष्य ने सोचा कि यह काम तो बहुत आसान है। मैं अभी कर देता हूं।
शिष्य गांव में गया और एक व्यक्ति से बोला कि आप मुझे गांव के सबसे सुखी इंसान लग रहे हो, क्या आप मुझे अपने जूते दे सकते हो। यह सुनते ही वह आदमी भड़क गया और कहने लगा कि मैं अपनी पत्नी की वजह से परेशान हूं। वह मेरी कोई भी बात नहीं मानती।
इसके बाद शिष्य दूसरे व्यक्ति के पास गया और उससे वही बात कही। दूसरा व्यक्ति भी नाराज हो गया और कहने लगा कि मुझे व्यापार में बहुत नुकसान हो रहा है। इस वजह से मैं दुखी हूं। इसके बाद वह तीसरे व्यक्ति के पास जाकर बोला तो तीसरे व्यक्ति ने उसे कहा- मेरे जीवन में काफी संकट है, मैं बहुत बीमार रहता हूं।
सुबह से शाम हो गई, लेकिन शिष्य को कोई भी सुखी व्यक्ति नहीं मिला। शाम को शिष्य लौटकर गुरु के पास आया और गुरु ने उससे पूछा कि क्या तुम जूते ले आए। शिष्य ने कहा कि गुरु जी मुझे गांव में सभी दुखी लोग मिले। सब अलग-अलग कारणों से परेशान हैं।
गुरु ने अपने शिष्य को समझाया कि हर व्यक्ति को दूसरा व्यक्ति सुखी ही लगता है और वह खुद के लिए भी वैसा ही चाहता है। जब लोगों को अपनी इच्छा के अनुसार फल नहीं मिलता तो वह दुखी होता है। इसीलिए हमें कभी दूसरों को देखकर अपने जीवन का रास्ता नहीं बदलना चाहिए। हमें अपना काम करना चाहिए। इसी से हमें सफलता मिलेगी और जो फल हमें मिलता है हमें उसी में संतुष्ट रहना चाहिए।