एक दिन रावण ने सोचा मैं यहां सोने की लंका में रहता हूं और मेरे आराध्य शिव कैलाश पर्वत पर, क्यों ना मैं उन्हें यहां लंका लेकर आ जाऊं, ये सोचकर रावण कैलाश पर्वत की ओर निकल पड़ा, कई तरह के…..
अगर कोई भी काम आसान हो और हम चिंता करें तो वह काम हमें कठिन ही लगता है। हम एक ऐसे ही प्रेरक प्रसंग के बारे में बताने जा रहे हैं। काफी समय पहले राजा के राज्य में अकाल पड़ा था और इस कारण राज्य की प्रजा ने राजा को कर नहीं दिया। धीरे-धीरे राजकोष भी खाली हो रहा था। राजा के शत्रु राज्य पर हमला करने की योजना तैयार कर रहे थे। राजा ने भी एक दिन अपने ही मंत्रियों को उसके खिलाफ षड्यंत्र रचते हुए देख लिया।
अब राजा काफी चिंतित रहने लगा और उसको यह नहीं समझ आ रहा था कि कैसे समस्या का समाधान निकले। राजा सीधे अपने गुरु के पास गया और गुरु को पूरी बात बता दी।
गुरु को भी राजा की बात समझ आ गई। गुरु ने राजा से कहा कि तुम मुझे अपना राजपाठ सौंप दो। तुम अब से आम इंसान की तरह रहो। तुम्हारी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी। राजा ने अपने गुरु को राजपाठ सौंप दिया।
गुरु ने राजा से कहा कि तुम अब मेरे लिए नौकरी करोगे। तुम मेरे महल और राज्य की देख रेख करोगे। मैं तो सन्यासी हूं और मुझे इस राज्य को चलाने का बिल्कुल भी अनुभव नहीं है। मैं अपने आश्रम में रहूंगा। लेकिन तुम राज्य की देखभाल करोगे। राजा ने कहा ठीक है।
राजा को अब कोई चिंता नहीं थी क्योंकि वह सिर्फ नौकरी कर रहा था। अब वह राज्य काफी अच्छी तरह से चलाने लगा। सब कुछ पहले की तरह हो रहा था क्योंकि राजा पर कोई भी ज्यादा जिम्मेदारी नहीं थी। कुछ महीने बाद महल में गुरु आए। राजा ने गुरु से कहा कि आपका राज्य अच्छी स्थिति में है। राजकोष में भरपूर धन है। शत्रु पूरी तरह से शांत हो गए हैं और प्रजा को भी कोई परेशानी नहीं है।
गुरु ने राजा को बताया कि तुम पहले भी यह काम कर सकते थे। लेकिन तुम काफी चिंतित थे और तुम्हें यह मुश्किल लग रहा था। लेकिन जब तुम्हारी चिंता दूर हो गई तो तुमने यह काम आसानी से किया।