एक राजा के राज्य में अकाल पड़ गया, जिसके कारण उसे बहुत नुकसान हुआ, अकाल के कारण राजा को प्रजा से लगान नहीं मिल पाया, राजा को चिंता होने लगी कि आखिर अब व्यय को कैसे कम……

एक बार एक राज्य में अकाल पड़ गया. इस वजह से राजा को बहुत नुकसान हुआ. उसे प्रजा से लगान भी नहीं मिला. वह सोचने लगा कि व्यय कैसे कम हो सकता है, ताकि राज्य का काम चल सके. राजा यह भी सोचने लगा कि कहीं भविष्य में फिर से अकाल ना पड़ जाए. उसे यह भी चिंता सताने लगी कि उस पर पड़ोसी राज्य हमला न कर दें.

राज्य में अकाल पड़ जाने के कारण राजा को बहुत नुकसान हुआ, इस कारण उसे प्रजा से लगान नहीं मिल पाया, राजा को ये चिंता होने लगी कि आखिर अब व्यय को कैसे कम किया जाए

राजा ने एक बार अपने कुछ मंत्रियों को उसके खिलाफ षड्यंत्र रचते हुए भी पकड़ा था. इसी वजह से वह परेशान रहने लगा और उसकी नींद भी उड़ गई. उसे भूख भी नहीं लगती थी. उसे कई पकवान परोसे जाते, लेकिन वह नहीं खा पाता था. राजा के शाही बाग में एक माली था. राजा हर रोज उसे देखता था. वह प्याज और चटनी के साथ 7-8 मोटी-मोटी रोटियां खा जाता और हमेशा खुश रहता.

राजा के गुरु ने यह सब देखा तो उन्होंने राजा से कहा कि अगर आपको नौकरी ज्यादा अच्छी लगती है तो आप मेरे यहां नौकरी कर लो. मैं तो साधु हूं, मैं आश्रम में रहूंगा. लेकिन इस राज्य को चलाने के लिए मुझे एक नौकर की जरूरत होगी. तुम पहले की तरह महल में रहो. राज सिंहासन पर बैठो और शासन चलाओ, यही तुम्हारी नौकरी होगी.

राजा खुश हो गया और उसने अपने गुरु की बात मान ली और अपने काम को नौकरी की तरह करने लगा. फर्क कुछ नहीं था. वह पहले की तरह ही काम कर रहा था. लेकिन अब राजा जिम्मेदारियों और चिंता से मुक्त हो गया था. कुछ महीने बाद उसके गुरु उसके पास आए और उससे पूछा कि तुम्हारी भूख और नींद का क्या हाल है.राजा ने कहा- मालिक अब मुझे बहुत भूख लगती है और मैं आराम से सो पाता हूं.

गुरु ने राजा को समझाया कि सब कुछ पहले जैसा ही है. लेकिन तुमने पहले जिस काम को बोझ समझ रखा था, उस अब तुम अपना कर्तव्य समझकर निभा रहे हो. हमें कर्तव्य पूरा करने के लिए ही जीवन मिला है. हमें किसी भी चीज को बोझ की तरह अपने ऊपर लादना नहीं चाहिए. कोई भी काम हो, उसकी चिंता करने से और कठिन बन जाता है. इसीलिए हमें हर काम खुशी-खुशी करना चाहिए.

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