एक बार एक राजा ने अपने मंत्री को उसके खिलाफ षड्यंत्र रचते हुए पकड़ लिया, अब राजा को डर से अब ना उसे भूख लगती, ना ही नींद आती, राजा ने एक दिन……
पुरानी लोक कथाओं के मुताबिक एक राजा के राज्य में अकाल पैदा हो गया जिस कारण उसे लगान नहीं मिला। राजा को इस बात की चिंता होने लगी कि अब खर्चा कैसे चलेगा और कैसे खर्च को बचाया जाए, जिससे की आगे अकाल ना पड़े। इतना ही नहीं उसको इस बात का भी डर था कि कहीं पड़ोसी राज्य के राजा उसके राज्य पर हमला ना कर दे। एक बार उसने अपने ही राज्य के कुछ मंत्रियों को उसके खिलाफ साजिश रचते हुए देख लिया। इस वजह से राजा को नींद भी नहीं आती थी। वह खाना भी ठीक से नहीं खाता था। शाही मेज पर सैकड़ों पकवान रखे होते थे। लेकिन राजा एक दो कौर ही खाता था।
1 दिन राजा ने शाही बाग के मालिक को बड़े चाव और स्वाद के साथ प्याज और चटनी के साथ सात-आठ मोटी-मोटी रोटियां को खाते हुए देखा। वह माली हर रोज प्रसन्न रहता था।
गुरु ने राजा को देखा तो उन्होंने कहा कि अगर तुमको नौकरी ज्यादा अच्छी लगती है तो तुम मेरे यहां नौकरी कर सकते हो। मैं तो साधु हूं और मैं आश्रम में ही रहूंगा। लेकिन मुझे राज्य को चलाने के लिए एक नौकर की जरूरत होगी। गुरु ने कहा कि तुम पहले की तरह ही महल में रहोगे और गद्दी पर बैठकर राज्य का शासन चलाओगे। यही तुम्हारी नौकरी है।
गुरु द्वारा कही गई बात राजा ने मान ली। लेकिन राजा को जिम्मेदारियां और चिंता का ज्यादा ध्यान नहीं था। राज्य के सभी काम ठीक तरह से चलने लगे। बाद में 1 दिन गुरु ने राजा से पूछा कि तुम्हारी भूख और नींद का क्या हाल है। तो राजा ने कहा कि मुझे अब भूख लगती है और मैं आराम से सोता हूं।
कथा की शिक्षा
गुरु ने राजा को बताया कि देखो सब कुछ पहले जैसा ही है। लेकिन तुमने पहले इस कार्य को बोझ समझ रखा था। अब तुम इस कार्य को अपना कर्तव्य समझ रहे हो। हमारा जीवन सिर्फ कर्तव्य को पूरा करने के लिए बना है। किसी भी कार्य को बोझ नहीं समझना चाहिए। जो भी कार्य करें उसको सिर्फ अपना कर्तव्य समझे। यह बात हमें कभी भी नहीं भूल ही चाहिए कि हम खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाएंगे।