एक किसान और उसकी पत्नी अपनी गरीबी के लिए हमेशा भगवान को ही कोसते रहते थे, एक दिन एक साधु ने उनसे कहा- अपना सबकुछ बेचकर गरीबों को भोजन खिलाओ……

किसी गांव में एक बहुत ही गरीब किसान रहता था. उसके परिवार में वह और उसकी पत्नी दो ही लोग थे. किसान के पास केवल एक गाय और दो बोरी अनाज था. पति-पत्नी दोनों अपने भाग्य को हमेशा कोसते रहते है और भगवान से शिकायत करते थे कि उन्होंने हमें इतना गरीब क्यों बनाया. एक दिन गांव में साधु आए और वह भिक्षा मांगते हुए किसान के घर पहुंचे.

अपनी गरीबी के लिए किसान और उसकी पत्नी भगवान को कोसते थे, एक दिन साधु ने कहा- अपना सब कुछ बेचकर गरीबों को भोजन खिलाओ, जाने फिर क्या हुआ

साधु ने जब किसान के घर भिक्षा मांगने के लिए आवाज लगाई तो उसकी पत्नी और उसने भगवान को कोसना शुरू कर दिया. उन्होंने साधु से कहा- हम तुम्हें क्या दान दें महाराज, हमारा तो खुद का जीवन भिखारी जैसा है. ना ढंग के कपड़े है, ना घर में अनाज है. भगवान ने हमारे साथ अन्याय किया है. साधु ने उनसे कहा- भगवान किसी का भाग्य नहीं बनाता. हमारे कर्म हमारा भाग्य बनाते हैं. भगवान हमें हमारे कर्मों का फल देता है.

फिर किसान की पत्नी ने साधु से कहा- हमने ऐसा कौन सा पाप किया है जो हमें ऐसे दिन देखने पड़ रहे हैं. हमने तो कोई पाप नहीं किया. साधु ने उनसे कहा- अगर तुम चाहते हो तो मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूं, जिससे तुम्हारे पास संपत्ति होगी. फिर किसान और उसकी पत्नी ने कहा- महाराज आप जो कहेंगे हम वो करेंगे. साधु ने कहा- तो सबसे पहले अपनी गाय और दो बोरी अनाज जाकर बाजार में बेच दो.

फिर किसान और उसकी पत्नी ने कहा- महाराज अगर हम इन्हें बेचते हैं तो हमारे पास कुछ भी नहीं बचेगा. साधु ने समझाया- मैं जो कह रहा हूं वह करो. अगर नुकसान हुआ तो मैं भरपाई कर दूंगा और तुम्हें एक गाय और दो बोरी अनाज दे दूंगा. इसके बाद किसान अपनी गाय और अनाज बेच आया. साधु ने कहा कि इन पैसों से गरीबों को भोजन कराओ. किसान ने गरीबों को भोजन खिला दिया.

जब यह बात गांव के जमींदार को पता चली कि गरीब के सामने अपनी गाय और अनाज बेचकर भूखों को खाना खिलाया है तो जमींदार ने तुरंत एक गाय और 2 बोरी अनाज किसान के घर भिजवा दिया. साधु ने फिर किसान से कहा कि अब इनको बेचकर गरीबों को भोजन कराओ. किसान ने फिर वैसा ही किया. ऐसे ही वह हर रोज गरीबों को भोजन कराता रहा. धीरे-धीरे किसान दूसरे गांव में भी मशहूर हो गया और वह धनवान बनता गया. एक दिन उसने साधु से पूछा कि मेरे भाग्य में अचानक इतना धन और अनाज कैसे आ गया. तब साधु ने समझाया कि तू इस धन से दूसरों को भोजन करा रहा है ये उन्हीं के भाग्य का धन है जो भगवान तुझे दे रहे हैं.

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