एक अहंकारी राजकुमार को शिक्षा के लिए गुरुकुल भेजा गया, पहले दिन जब वह भिक्षा मांगने के लिए गया तो किसी ने भी उसे कुछ भी नहीं दिया, अगले दिन उसे थोड़ी भिक्षा मिल गई, तब गुरु ने उसे…….

किसी राज्य में बहुत ही दयालु राजा राज करता था, जिसका पुत्र काफी अहंकारी था। राजा अपनी प्रजा के सुख-दुख का बहुत ध्यान रखता था। लेकिन उसके पुत्र को राजपुत्र होने का बहुत घमंड था, जिस वजह से वह अक्सर लोगों को परेशान करता था। वह अपने महल में काम करने वाले लोगों के साथ भी क्रूर व्यवहार करता। जब राजा को यह बात पता चली तो वह परेशान हो गए कि प्रजा कभी ऐसी राजा को स्वीकार नहीं करेगी।

फिर राजा ने अपने गुरु को बुलाया और सारी समस्या बताई। गुरु ने राजा से कहा कि राजकुमार की शिक्षा प्राप्त करने की उम्र हो गई है। आप उसे मेरे साथ गुरुकुल भेज दीजिए। कुछ ही दिनों में वह सारे दुर्गुणों से मुक्त हो जाएगा। राजकुमार गुरुकुल चला गया और वहां भी उसने अहंकारी बर्ताव किया। पहले दिन गुरु ने उससे कहा कि जाओ गांव से भिक्षा मांग कर लाओ तो राजकुमार ने मना कर दिया। गुरु ने उससे कहा कि तुम्हें यहां अपने भोजन की व्यवस्था खुद करनी होगी। नहीं तो तुम भूखे ही रहोगे।

पहले दिन राजकुमार भूखा रहा। फिर अगले दिन बिना मन के जब उसने भिक्षा मांगी तो उसे कुछ नहीं मिला, क्योंकि उसने लोगों के साथ बहुत ही गलत तरीके से व्यवहार किया। दूसरे दिन में राजकुमार भूखा रहा। अब उसे समझ आ गया कि अगर उसे भिक्षा चाहिए तो उसे लोगों से प्रेम से बात करनी होगी और आग्रह करना होगा। अगले दिन राजकुमार ने ऐसा ही किया और उसे थोड़ी बहुत भिक्षा मिल गई।

ऐसा करते करते कुछ दिनों में राजकुमार के स्वभाव में परिवर्तन होने लगा। यह देख कर गुरु बहुत प्रसन्न थे। अब वह राजकुमार आश्रम के लोगों से भी अच्छा व्यवहार करता था। एक दिन गुरु उसे अपने साथ बगीचे में ले गए और वहां उसे कुछ मीठे फल खाने को दिए और राजकुमार की बहुत तारीफ की। मीठे फल खिलाने के बाद गुरु ने उसको कड़वी नीम की पत्तियां खिलाई, जिससे राजकुमार का मुंह कड़वा हो गया।

गुरु ने राजकुमार से कहा कि लोग कभी भी आपके पद की वजह से आपका सम्मान नहीं करते, बल्कि आपके गुणों की वजह से आपका सम्मान किया जाता है। इसीलिए कभी किसी को परेशान मत करो और बुरा मत बोलो। राजकुमार गुरु की बात को समझ गया।

कथा की सीख

कथा से यही सीख मिलती है कि चाहे आप कितने भी अमीर या बड़े पद पर क्यों ना हो, कभी भी घमंड ना करें। अपने से छोटों के साथ अच्छा व्यवहार करें, तभी लोग आपका सम्मान करेंगे।

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