एक सेठ के पास एक नाव थी, जोकि काफी पुरानी हो गई थी, सेठ ने सोचा इसे पेंट करवा लेता हूं, उसने पेंटर को बुलाया और उससे कहा कि शाम तक इस नाव को पेंट कर देना, यह कहकर सेठ……
एक प्राचीन कथा के मुताबिक, किसी नदी किनारे एक सेठ रहता था, जिसके पास एक नाव थी। सेठ की नाव बहुत पुरानी हो गई, उसने सोचा कि इसे पेंट करवा लूं। उसने पेंटर को बुलाया और नाव पेंट करने के लिए कहा। शाम तक पेंटर ने नाव पेंट कर दी और अपने घर चला गया।
अगले दिन सेठ पेंटर के घर पहुंचा और उसे बहुत सारा पैसा दिया। पेंटर हैरान रह गया कि सेठ जी ने काम से ज्यादा पैसे दिए हैं। उसने कहा- मैं इतना सारा धन नहीं ले सकता। सेठ ने पेंटर से कहा- मेरी नाव में एक छोटा सा छेद था। जब मैंने तुम्हें नाव पेंट करने के लिए दी तो मैं तुम्हें यह बताना भूल गया।
मैं तुम्हें नाव देकर बाहर से चला गया। जब मैं शाम को घर लौटा तो मुझे पता चला कि बच्चे नाव लेकर नदी में सैर करने गए हैं। यह सुनते ही मैं बहुत परेशान हो गया, क्योंकि मुझे पता था कि नाव में छेद है। बच्चे नाव ले गए हैं और छेद की वजह से नाव डूब सकती है। जैसे ही मैं दौड़ते दौड़ते नदी किनारे पहुंचा, मेरे बच्चे नाव से सैर कर नदी किनारे सकुशल लौट आए थे।
मैंने देखा तो नाव में छेद नहीं था। मुझे पता चल गया कि तुमने पेंट करते समय नाव का छेद बंद कर दिया। अगर तुमने छेद बंद नहीं किया होता, मेरे बच्चों के प्राण संकट में फंस जाते। इसलिए मैं तुम्हें इतना सारा पैसा दे रहा हूं। पेंटर ने कहा कि यह मेरे काम का हिस्सा था। इसलिए मैंने छेद बंद कर दिया। इसके लिए मुझे अतिरिक्त धन की जरूरत नहीं है।
कथा की सीख
लोगों की भलाई करने का मौका मिले तो जरूर करना चाहिए, क्योंकि आपकी छोटी-सी भलाई करने से आपको कोई बड़ा अवसर मिल सकता है। भगवान आपकी अच्छाई का फल आपको जरूर दे देते हैं।