किसी गांव में एक पहेलियां रहता था, एक दिन उसने एक चिड़िया को सोने का अंडा देते हुए देख लिया, वह उस चिड़िया को पड़कर घर ले आया और सोचने लगा कि अब मैं धनी बन जाऊंगा……
किसी गांव में एक बहेलिया रहता था। उसने एक दिन चिड़िया को सोने का अंडा देते हुए देखा। फिर उसने चिड़िया को जाल में फंसा लिया और अपने घर पर ले आया। उसने सोचा कि चिड़िया के सोने के अंडे बेचकर मैं धनी हो जाऊंगा। लेकिन जब यह बात राजा को पता चलेगी तो वह मुझे चोर समझकर दंड देंगे। इससे अच्छा है कि मैं यह चिड़िया राजा को उपहार के रूप में दे दूं।
अगले दिन बहेलिया राजा के दरबार में गया और उन्हें चिड़िया राजा को दे दी। राजा सोने का अंडा देने वाली चिड़िया पाकर बहुत खुश हुए और उन्होंने अपने मंत्रियों से चिड़िया की देखभाल करने को कहा। राजा ने मंत्रियों से कहा कि इसके अंडों से हमारा राजकोष बढ़ेगा।
राजा के मंत्री उनसे बोले कि महाराज हमने आज तक ऐसी किसी चिड़िया के बारे में नहीं सुना। ऐसी कोई चिड़िया नहीं होती है, जो सोने के अंडे देती है। राजा को मंत्रियों की बात सही लगी और उन्होंने तुरंत ही अपने सैनिकों को आदेश दे दिया कि वे चिड़िया को जंगल छोड़ा आएं।
राजा के सैनिक चिड़िया को जंगल में छोड़ आए। आजाद होकर चिड़िया सोचने लगी कि सभी लोग मूर्ख हैं। बहेलिए को पता था कि मैं सोने के अंडे देती हूं। लेकिन उसने मुझे राजा को सौंप दिया। राजा ने अपने मंत्रियों की बात मानकर मुझे बिना परखे ही आजाद कर दिया।
कथा की सीख
जब तक हमें किसी बात की सच्चाई पूरी तरह से ना पता हो तो हमें नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए। अन्यथा हमें कोई बड़ा नुकसान हो सकता है।