एक राजा ने अपने एक सैनिक तलवारबाज को अपना सेनापति बना दिया, उसने कई लड़ाइयां लड़ी और जीती, समय के साथ उस तलवारबाज को लगने लगा कि वह अब बूढ़ा हो गया है……
एक राजा ने अपने एक सैनिक कि तलवारबाजी प्रतिभा को देखते हुए उसको अपना सेनापति बना दिया। उसने बहुत सारी लड़ाइयां लड़ी और ज़ीता भी। धीरे-धीरे कर के समय बीतता गया और तलवारबाज को लगने लगा कि अब मैं बूढ़ा हो गया हूं। मुझे अपनी प्रतिभा लोगों को भी सिखानी चाहिए।
सेनापति ने यह बात अपने राजा को बताई। राजा उसकी बात से संतुष्ट था। राजा ने अपने सेनापति की बात की मुनादी पूरे शहर में करवा दी। अगले ही दिन बहुत सारे लोग सेनापति से तलवारबाजी सीखने के लिए आने लग गए। धीरे-धीरे करके थोड़ा समय निकल गया। एक युवक बहुत ही कम समय में तेजी से तलवारबाजी करना सीख गया। उस युवक को कुछ दिनों बाद लगने लगा कि अब मैं अपने गुरु से भी अच्छी तलवारबाजी कर सकता हूं।
यह सोच कर वह युवक महाराज के पास जाकर कहने लगा कि महाराज मैं सेनापति से अच्छी तलवारबाजी सीख गया हूं। आप मुझे अपना सेनापति बना लीजिए। राजा ने युवक से कहा कि ठीक है। अगर तुम सेनापति को तलवारबाजी में हरा दोगे तो मैं तुम्हें देना पति बना दूंगा।
राजा ने सेनापति और युवक का 7 दिन बाद मुकाबला तय कर दिया। उस युवक को लगने लगा कि कहीं सेनापति से मैं हार ना जाऊं। वह यह सोच कर सेनापति का पीछा करने लगा जिससे कि उसे पता चल जाए कि सेनापति क्या रणनीति अपनाते हैं।
युवक ने देखा कि वह सेनापति लुहार के पास जाकर 15 फीट लंबी म्यान बनवा रहा है। युवक को लगने लगा कि इस लंबी तलवार से वह मुझे हरा देगा। यह सोच कर युवक ने भी 16 फीट लंबी तलवार बनवाली।
जब मुकाबले का दिन आया तो सेनापति हाथ में साधारण तलवार लेकर गया। जबकि युवक के हाथ में 16 फीट लंबी म्यान थी। म्यान में से तलवार निकालने से पहले ही सेनापति ने उसकी गर्दन पर अपनी तलवार रख दी और सेनापति कुछ ही पल में मुकाबला जीत गया। युवक को अपनी गलती का पछतावा हुआ। उसने सेनापति से माफी मांग ली। सेनापति ने युवक को बताया कि मैंने तुम पर मानसिक दबाव डालने के लिए 15 फीट लंबी में म्यान तैयार करवाई थी ना कि तलवार। कभी भी अपनी कला का घमंड नहीं दिखाना चाहिए।
कहानी की सीख
कुछ लोगों को अपनी कला पर बहुत ज्यादा घमंड होता है, जिस कारण वे अपने आप को ही सब कुछ समझने लगते हैं। लेकिन बाद में उनको बहुत पछतावा करना पड़ता है।