एक राजा ने अपने महल में बड़ा ही सुंदर बगीचा बनवाया और उस बगीचे के अंदर कई कीमती चीजें रखवा दीं, फिर राजा ने राज्य में ऐलान करवाया जो कोई भी बगीचे में से सबसे महंगी चीज ढूंढकर…….
किसी देश में रहने वाले एक राजा को प्रतियोगिता करवाने का बहुत शौक था। उस राज्य के लोग भी बड़े ही शौक से प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे। जो प्रतियोगिता का विजेता होता, उनको राजा इनाम देता। इस कारण राज्य के लोगों में उत्साह बना रहता था।
एक बार राजा ने अपने राज्य में खूबसूरत बगीचा बनवा दिया। उस बगीचे में राजा ने कई सारी महंगी चीजें भी रखवा दी। राजा ने राज्य के लोगों से कहा कि जो भी व्यक्ति इस बगीचे में से सबसे महंगी चीज ढूंढ कर लाएगा, उसको कई तरह के नाम मिलेंगे। यह प्रतियोगिता सुनकर लोगों को बहुत खुशी हुई।
प्रतियोगिता का दिन आ गया। लोग बगीचे में गए और उसमें से कीमती रत्न एवं अन्य कीमती चीज लेकर आ गए। किसी के सोना मिला तो कोई चांदी लेकर आया। किसी को आभूषण मिल गए तो किसी को हीरे।
बगीचे में सबसे अंत में एक संत गए और काफी दूर तक वह बगीचे में पहुंच गए। बाग में घूमने के बाद वह खाली हाथ बगीचे से बाहर निकले और राजा के पास गए। संत ने राजा से कहा कि मैं सबसे कीमती चीज लेकर आया हूं। राजा ने कहा लेकिन आपके हाथ में तो कुछ नहीं है।
संत ने राजा को बताया कि मैं संतोष लाया हूं। राजा ने संत से पूछा कि क्या तुम्हारा संतोष सबसे अधिक मूल्यवान है। संत ने राजा को बताया कि बाग में हर चीज का एक निर्धारित मूल्य है। लेकिन संतोष का कोई मूल्य नहीं है, वह अमूल्य है। अगर आदमी संतोष प्राप्त कर लेता है तो उसे कुछ और पाने की इच्छा नहीं होती। राजा को संत की बातें समझ आ गई और उसने उस संत को अपना सलाहकार बना लिया।
कहानी की सीख
कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि संतोषी दुनिया की सबसे महंगी चीज है। जिसके जीवन में संतोष है वह खुश हैं।