एक पिता-पुत्र एक गांव से गुजर रहे थे, रास्ते में उन्होंने एक किसान को खेत में काम करते हुए देखा, खेत के पास में ही एक पेड़ के नीचे उसे किसान का खाना और सामान रखा हुआ…….
एक लोक कथा के अनुसार पिता-पुत्र गांव से गुजर रहे थे, उन्होंने रास्ते में एक किसान को खेत में काम करते हुए देखा। खेत के बाहर एक पेड़ के नीचे उसका खाना और सामान रखा हुआ था। पुत्र ने अपने पिता से कहा कि पिताजी चलो हम इस किसान के साथ मजाक करते हैं। इसका सामान छिपा देते हैं।
लेकिन पिता ने अपने पुत्र से ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि तुम उसकी थैली में कुछ पैसे रख तो फिर देखो क्या होता है। पुत्र ने अपने पिता की बात मानकर उस किसान की थैली में 100 रूपए रख दिए। इसके बाद पिता और पुत्र दोनों एक पेड़ के पीछे छिप गए। कुछ देर बाद जब किसान खाना खाने के लिए बाहर आया। खाना खाकर थोड़ी देर बाद जब उसने थैली उठाई तो देखा कि उसकी थैली में 100 रूपए रखे हुए हैं।
100 रूपए देखकर किसान काफी हैरान हो गया और सोचने लगा कि उसकी थैली में पैसे कहां से आए। किसान ने चारों ओर देखा, लेकिन उसे वहां कोई नहीं दिखा तो किसान ने भगवान का धन्यवाद करते हुए कहा कि हे भगवान ! आज मुझे अपने बच्चे की दवाई के लिए पैसों की जरूरत थी, अब मैं इन पैसों से बच्चे की दवाई ले पाऊंगा। पिता और पुत्र दोनों ये बात सुन रहे थे। पुत्र ने अपने पिता से कहा कि मुझे समझ आ गया है कि किसी से कुछ लेने से ज्यादा मजा तो देने में है।
कथा की सीख
इस कहानी से हमें बस यही सीख मिलती है कि जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। मदद करने से हमें भी खुशी मिलती है और दूसरों को भी लाभ होता है।