एक गांव में एक गरीब पति-पत्नी रहते थे, पति बड़ा ही आलसी था, कोई काम नहीं करता था, उसे मेहनत करना पसंद नहीं था, वह कहता था कि भाग्य में जो लिखा है वही होगा, एक दिन उस गांव में……..
गांव में एक पति-पत्नी गरीबी में ही अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। पति आलसी था और इस कारण वो काम ना काम नहीं करता था। वह उतनी ही फसल उगाता था, जिससे कि खर्चा पानी चल जाए। पत्नी ने उसे कई बार प्रेरित करने की कोशिश की। लेकिन पति उसकी बातों को अनसुनी कर देता। वह मेहनत नहीं करना चाहता था और कहता की भाग्य में जो लिखा है वही होगा। 1 दिन उस गांव में साधु आया। पड़ोसियों ने कहा कि यह साधु सभी की समस्या का सटीक उपाय बताते हैं।
किसान की पत्नी साधु के पास चली गई और उसने अपनी समस्या बताई। साधु ने कहा कि तुम्हारा पति आलसी है, जिस कारण वह परिश्रम नहीं कर सकता। उसे परिश्रम का महत्व समझना होगा। पत्नी ने कहा कि मैं अपने पति को समझती हूं। वह मेरी बात नहीं मानते हैं। साधु ने पत्नी से कहा कि यदि तुम्हारा पति मेहनत नहीं कर सकता तो उसको तपस्या करने की बात कहो। अगर तुम स्वर्ग जैसा सुख भोगना चाहती हो तो राजा इंद्र की तपस्या करो। साधु ने उस स्त्री को एक मंत्र दिया और तपस्या की विधि भी बताई। पत्नी खुश होकर वहां से लौट आई और यह सब बात अपने पति को बताई। पति यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ। पति ने सोचा कि इसमें तो कुछ नहीं करना बस एक जगह बैठना है।
पति और पत्नी ने तपस्या करना शरू कर दी। शुरु में दोनों को परेशानी महसूस हुई। लेकिन बाद में यह दोनों ध्यान और मंत्र का जाप अच्छे से करने लगे। कुछ दिनों बाद दोनों ध्यान में पूरी तरह डूब गए और एक ऐसा समय आ गया कि दोनों गहन समाधि में पहुंच गए। इन दोनों की तपस्या से खुश होकर भगवान इंद्र प्रकट हुए। यह दोनों भगवान इंद्र के सामने हाथ जोड़कर खड़े हुए।
इंद्र ने बताया कि मैं तुम्हारी तपस्या से खुश हूं। तुमने मेरी तपस्या स्वर्ग जैसा सुख भोगने के लिए की थी। मैं तुम्हें एक ऐसा वरदान देता हूं, जिससे कभी भी तुम्हारे घर में धन का भंडार खत्म नहीं होगा। लेकिन तुम्हें ऐसा सुख भोगने के लिए अलग रहना होगा। पत्नी ने पूछा कि हम दोनों को अलग क्यों रहना होगा। तो भगवान इंद्र ने कहा कि तुम दोनों ने तपस्या अलग-अलग की थी। इसका फल भी अलग-अलग मिलेगा। अगर तुम दोनों एक हो जाओगे तो मेरा वरदान समाप्त हो जाएगा। पत्नी ने कहा ठीक है मैं अलग रहूंगी। अगर मेरे पति को पूरा सुख मिलता है और धन की कमी नहीं होती है तो मैं ऐसा करने के लिए तैयार हूं।
लेकिन पति ने मना कर दिया और कहा कि मुझे समझ आ गया है कि मेरी पत्नी ने मेरे सुख के लिए बहुत ही चिंता की। इतना ही नहीं वह मुझसे अलग रहने के लिए भी तैयार हो गई है। मुझे यह बात भी समझ में आ गई है कि यदि मैं तपस्या से भगवान को प्रकट कर सकता हूं, तो मेहनत करके धन भी कमा सकता हूं। भगवान इंद्र मुझे आपके वरदान की आवश्यकता नहीं है। मुझे अपनी पत्नी की सबसे ज्यादा जरूरत है जो मेरे लिए हमेशा चिंता करती है। मैंने अपने आलक का त्याग कर दिया है। अब मैं मेहनत करूंगा।
पत्नी को यह सुनकर बहुत खुशी हुई। उसकी आंखों में आंसू आ गए। इंद्र ने कहा कि मेरा वरदान खाली नहीं जाएगा। अब तुम दोनों साथ भी रहोगे तो भी धन खत्म नहीं होगा। मैंने यह सब तुम्हारी आंखें खोलने के लिए किया। हर किसी का सबसे बड़ा खजाना उसका परिवार होता है।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमारा स्वास्थ्य और हमारा परिवार ही सबसे बड़ा खजाना होता है। हमको इसकी कीमत समझनी चाहिए। मेहनत करके भगवान को पाया जा सकता है तो धन क्या चीज है।