एक गांव में एक बुजुर्ग अपने बेटे के साथ रहता था, बेटा अच्छे पिता के बिजनेस को संभालता था, अच्छा रिश्ता देखके पिता ने उसकी शादी कर दी, एक दिन दोपहर के समय पिता खाना खा…….
एक बुजुर्ग अपने बेटे के साथ ही रहता था। उसकी पत्नी का निधन कई सालों पहले हो गया था। बेटा पिता द्वारा स्थापित किए गए बिजनैस को अच्छी तरह से संभाल रहा था। परिवार में सब कुछ अच्छा चल रहा था। पिता ने अपने बेटे की शादी अच्छा रिश्ता देख कर कर दी। लड़की भी पढ़ी लिखी थी।
अब बेटा कारोबार की और बहू घर की जिम्मेदारियों को निभाते। बेटे की शादी के करीब 1 साल के बाद की ये बात है। जब दोपहर के वक्त बुजुर्ग पिता खाना खा रहे थे, उसी वक्त उसका बेटा ऑफिस से घर आ गया। वह हाथ मुंह धोने चला गया और खाने की तैयारी करने लगा।
बुजुर्ग पिता ने बहू से दही मांगा। लेकिन बहू ने मना कर दिया कि आज घर में दही नहीं है। यह बात बेटे ने सुन ली। लेकिन जब उसका पति खाना खाने बैठा तो उसने देखा कि कटोरी में दही है। इस बात पर पति ने पत्नी से कुछ नहीं कहा और वह खाना खाकर ऑफिस चला गया।
इस बात को हुए 10 दिन हो गए। पुत्र ने अपने बुजुर्ग पिता से कहा कि मैंने निर्णय किया है कि आज से मैं ऑफिस में मामूली कर्मचारी की हैसियत से काम करूंगा और मुझे जितनी सैलरी मिलेगी उतने में ही घर का खर्चा चला लूंगा। जब पिता ने यह बात सुनी तो उन्हें बहुत ही आश्चर्य हुआ।
पिता ने बेटे से इसका कारण पूछा तो बेटे न उस दिन वाली दही की बात बता दी। पिता ने अपने बेटे को लाख समझाने की कोशिश की। लेकिन बेटे ने कहा कि आपकी बहू को भी एक कटोरी दही की कीमत समझ में आनी चाहिए। अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो मुझे हर वक्त यह बात सताएगी कि जिस पिता ने मुझे काबिल बनाया। मैं उनके लिए एक कटोरी दही का इंतजाम नहीं कर पाया।
पत्नी ने अपने पति और ससुर की बात सुन ली। उसको अपनी गलती का एहसास हो गया था।
कहानी की शिक्षा
हर कोई माता पिता बचपन में अपने बच्चों की देखभाल करता है और उम्मीद करता है कि बुजुर्ग होने पर यही बच्चे हमारी देखभाल करेंगे। लेकिन समय में परिवर्तन होने के साथ-साथ परिस्थितियां भी बदल जाती हैं। आज के जमाने में वृद्धों को कोई महत्व नहीं देता। उन्हें अपमानित किया जाता है। लेकिन ऐसा करने से पहले हर किसी को यह सोचना चाहिए जब हम वृद्ध होंगे तो हमारे साथ भी ऐसा हो सकता है।