एक रेलवे स्टेशन पर हट्टाकट्टा नवयुवक खड़ा था, उसके हाथ में दो बड़े सूटकेस थे, उसने एक टैक्सी ड्राइवर को पता बताया और पूछा कितने पैसे लोगे, ड्राइवर ने उससे कहा 200 रुपए युवक को लगा टैक्सी वाला ज्यादा पैसे मांग……

रेलवे स्टेशन पर एक हट्टा-कट्टा नवयुवक 2 बड़े सूटकेस लेकर उतरा। उसने टैक्सी ड्राइवर को एक पता बताया और वहां जाने के पैसे पूछे। टैक्सी ड्राइवर ने कहा कि यहां जाने के लिए आपको ₹200 देने पड़ेंगे।

उस नवयुवक को लगा कि टैक्सी वाला ज्यादा पैसे मांग रहा है। यह सोचकर नवयुवक खुद ही 2 बड़े सूटकेस उठा कर पैदल चलने लगा। जब कुछ ही दूर वह नवयुवक चला तो फिर उसे फिर वही टैक्सी वाला दिखाई दिया।

नवयुवक के मन में विचार आया कि मैं नहीं आधा रास्ता तो तय कर ही लिया है। अब मुझे टैक्सी के आधे पैसे ही देने होंगे। नवयुवक ने दोबारा टैक्सी वाले से बोला कि भाई अब तो आधा रास्ता मैंने तय कर लिया है। अब तुम कितने रुपए लोगे।

उस टैक्सी वाले ने थोड़ा हंसते हुए कहा कि ₹400 लगेंगे। टैक्सी वाले का जवाब सुनकर नवयुवक को हैरानी हुई और कहा कि पहले तुमने पूरे रास्ते के ₹200 बताए थे और अब आधे रास्ते के ₹400 बता रहे हो। तुम तो सरासर लूट कर रहे हो।

टैक्सी वाले ने नवयुवक को बताया कि तुम्हें जिस मंजिल तक पहुंचना है, तुम उसके विपरीत जा रहे हो। यह सुनकर नौजवान चुपचाप टैक्सी में बैठ गया।

कहानी की सीख

हम अक्सर कोई भी कार्य शुरू करने से पहले उसकी रूपरेखा तैयार नहीं करते हैं। अंत में वह काम बिगड़ जाता है, जिससे हमारा समय और मेहनत दोनों बर्बाद होते हैं। इसलिए कोई भी काम शुरू करने से पहले सोच विचार जरूर करना चाहिए।

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