एक राजा के दो बेटे थे, लेकिन उन दोनों के विचार मेल नहीं खाते थे, जिसकी वजह से दोनों अक्सर विवाद होता था, बढ़ती उम्र के साथ झगड़े भी बढ़ते गए, एक दिन राजा ने सोचा ये दोनों ऐसे ही लड़ते…….
एक राजा के दो बेटे थे, जो बहुत समझदार और गुणवान थे। लेकिन इन दोनों भाइयों के विचार मेल नहीं खाते थे, जिस कारण दोनों भाइयों में विवाद होता था। जैसे-जैसे इन दोनों भाइयों की उम्र बढ़ती जा रही थी, वैसे-वैसे ही इन के झगड़े भी बढ़ते जा रहे थे।
एक दिन राजा के मन में विचार आया कि यदि दोनों ऐसे ही लड़ते रहेंगे तो दुश्मन इस बात का फायदा उठाकर हमारे राज्य पर अपना कब्जा जमा लेंगे। सेना भी विद्रोह कर सकती है। राजा को इस बात की चिंता होने लगी। राजा के मन में एक ही सवाल चलता था कि इन दोनों के झगड़ों को कैसे खत्म किया जाए।
राजा ने अपने दोनों बेटों को समझाने के लिए एक दिन एक योजना तैयार की। इस योजना के तहत राजा ने अपने दोनों बेटों को बगीचे में बुला लिया। बाद में उनकी आंखों पर पट्टी बंधवा दी। जब इन दोनों की आंखें बंद की गई तो उन्हें दीवार के पास खड़ा कर दिया गया।
एक तरफ दीवार पर सूर्य की किरणें पड़ रही थी तो उस तरफ दीवार गर्म थी। जबकि दूसरी तरफ दीवार ठंड़ी थी। दोनों राजकुमारों से एक ही सवाल पूछा गया कि यह दीवार ठंडी है या गरम। दोनों राजकुमारों ने इसका विपरीत उत्तर दिया।
इसके बाद दोनों राजकुमारों की जगह की अदला-बदली कर दी गई। फिर से इन दोनों राजकुमारों से एक ही सवाल पूछा गया। इसके बाद भी उनसे वहीं सवाल पूछा गया कि दीवार ठंडी है या गरम। उन्होंने विपरीत जवाब दिए।
बाद में उन दोनों की आंखों से पट्टी खोल दी गई और राजा ने उनसे कहा कि तुम दोनों हर बार सही थे। लेकिन परिस्थितियां भिन्न थी। जीवन में कभी भी ऐसी परिस्थितियां आ जाती है। इसलिए हर किसी ही बात का सम्मान करना चाहिए।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि सही निर्णय लेने के लिए एक बार खुद को दूसरे की जगह पर रखकर सोचना चाहिए। हमारे मन में जो होता है, उसको सच मानना गलत है। यह जीवन एक ही व्यक्ति के दृष्टिकोण पर निर्भर नहीं है। इसलिए सब के विचारों का सम्मान करना चाहिए।