एक बार यमराज एक महिला के प्राण हरने पहुंचे, वह महिला यमराज को पहचान नहीं पाई, महिला ने उन्हें पीने के लिए पानी दिया, यमराज उस महिला से बोले मैं तुम्हारे प्राण हरने आया हूं और तुम मुझे पानी पिला रही हो…….
प्राचीन कथा के मुताबिक, एक महिला के प्राण हरने के लिए यमराज उसके पास पहुंचे। लेकिन महिला उन्हें पहचान नहीं पाई। उसने यमराज को पीने के लिए पानी दिया। फिर यमराज ने महिला से कहा कि मैं तुम्हारे प्राण हरने आया हूं और तुम मुझे पानी पिला रही हो। इस वजह से मैं तुमसे बहुत खुश हूं। मैं तुम्हें एक अवसर देता हूं कि तुम अपना भाग्य बदल सकती हो।
यमराज ने महिला को दिव्य पुस्तक देकर कहा कि इस पुस्तक में तुम्हारे नाम का भी एक पन्ना है। तुम वहां जो चाहो, वो लिख सकती हो। जो तुम इस पुस्तक में लिखोगी, तुम्हारे साथ वैसा ही होगा। लेकिन तुम्हारे पास ज्यादा समय नहीं है। इसलिए जल्दी जल्दी लिखना।
महिला ने फिर जब पुस्तक हाथ में ली और उसने पहला पेज खोला तो उस पर लिखा था कि तुम्हारी सहेली को खजाना मिलने वाला है। महिला ने उस पेज पर लिखा कि उसे खजाना ना मिले, वह हमेशा गरीब रहे। इसके बाद उसने दूसरे पेज पर लिखा देखा कि तुम्हारी पड़ोसी का पति मंत्री बनने वाला है तो महिला ने उस जगह लिख दिया कि वो मंत्री ना बने।
जब उसे अपने नाम का पन्ना दिखाई दिया तो उसने खुद के लिए अच्छा-अच्छा लिखने का सोचा। लेकिन जैसे ही वह लिखने वाली थी, यमराज ने पुस्तक ले ली और कहा कि तुम्हारा समय खत्म हो गया। महिला दूसरों का बुरा करने के चक्कर में अपने लिए कुछ भी अच्छा नहीं कर पाई, जिसका उसे बहुत पछतावा हुआ।
कथा की सीख
कथा से यही सीख मिलती है कि जो लोग हमेशा दूसरों का बुरा करने में लगे रहते हैं, वे खुद के कल्याण के लिए कोई भी कार्य नहीं कर पाते और दूसरों को देख कर जलते रहते हैं।