सीख; कुंती युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव के साथ वनवास काट रही थीं, यात्रा करते हुए वे एक गांव में पहुंचे और एक ब्राह्मण के घर में ठहर गए, उस गांव के बाहर एक राक्षस था, जो रोज एक-एक करके गांव के लोगों को……..
महाभारत की कुंती और पांडवों से जुड़ी कथा है। कुंती युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव के साथ वनवास काट रही थीं। यात्रा करते हुए वे एक गांव में पहुंचे और एक ब्राह्मण के घर में ठहर गए। उस गांव के बाहर एक राक्षस था, जो रोज एक-एक करके गांव के लोगों को खा रहा था।
पांडव जिस ब्राह्मण के घर रुके थे, उस ब्राह्मण परिवार को राक्षस का भोजन बनना था। ये बात कुंती को मालूम हुई। गांव के लोग पांचों पांडव और कुंती को जानते नहीं थे।
गांव के लोग रो रहे थे तो कुंती ने उस ब्राह्मण से कहा कि तुम्हारा एक छोटा बेटा है, बेटी है, पत्नी है और आज इनको उस राक्षस का भोजन बनना है तो आप चिंता न करें। हम परिवर्तन कर लेते हैं, मेरे पांच पुत्र हैं। इनमें से किसी एक को मैं भेज देती हूं।
ब्राह्मण ने कहा कि ये तो गलत बात है। मैं ब्राह्मण होकर ऐसा नहीं कर सकता कि मेरे बच्चों को बचाने के लिए आपके बच्चों की बलि दे दूं।
कुंती ने कहा कि ब्राह्मणों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। मेरे पांच पुत्रों में से एक ऐसा है, जो इस राक्षस को मार सकता है। आप चिंता न करें, राक्षस मारा जाएगा।
कुंती ने भीम से कहा कि तुम जाओ, आज उस राक्षस का भोजन तुम बनोगे और तुम जानते हो, तुम्हें क्या करना है।
युधिष्ठिर ने माता कुंती से पूछा कि आप भीम को कहां भेज रही हैं?
कुंती ने युधिष्ठिर को पूरी बात बता दी। युधिष्ठिर ने कहा कि मां ये तो ठीक नहीं है। आप जानती हैं, फिर भी भीम को मृत्यु के मुंह में भेज रही हैं।
कुंती ने कहा कि भीम मेरा पुत्र है और मैं ये जानती हूं कि वह सफल होकर लौटेगा, वह खुद की रक्षा करेगा और राक्षस को मारकर पूरे गांव की चिंता दूर करेगा। हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कोई हमारा उपकार करे तो हमें उससे बढ़कर उसका उपकार करना चाहिए। हम इस गांव के मेहमान हैं, इस गांव को सुरक्षा देना हमारा कर्तव्य है। ये काम भीम करेगा।
इसके बाद में भीम उस राक्षस के पास गया और उसका वध कर दिया।
कुंती की पांडवों को सीख
अगर कोई हमारी मदद करता है तो हमें भी उसकी मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए। समय आने पर अपने मददगार की और ज्यादा मदद करें। यही धर्म के अनुसार सही है।