सीख; एक दिन महावीर स्वामी किसी गांव के बाहर जंगल में ध्यान कर रहे थे, उस समय गांव के कुछ अशिक्षित लोग अपनी गायों को चराने के लिए जंगल में आए, उन्होंने एक व्यक्ति को ध्यान में बैठे हुए देखा……..
एक दिन महावीर स्वामी किसी गांव के बाहर जंगल में ध्यान कर रहे थे। उस समय गांव के कुछ अशिक्षित लोग अपनी गायों को चराने के लिए जंगल में आए। उन्होंने एक व्यक्ति को ध्यान में बैठे हुए देखा।
सभी अशिक्षित थे तो तप और ध्यान के बारे में जानते नहीं थे, वे महावीर स्वामी को भी नहीं पहचानते थे। चरवाहों ने महावीर जी को सामान्य इंसान समझा और उनके साथ मजाक-मस्ती करने लगे, उन्हें परेशान करने लगे।
गांव के लोग स्वामी जी को परेशान कर रहे थे, लेकिन वे अपने ध्यान में मग्न थे। चरवाहों की वजह से भी उनका ध्यान नहीं टूटा। गांव के विद्वान लोगों ने चरवाहों की ये हरकत देखी तो वे तुरंत महावीर स्वामी के पास पहुंचे।
गांव के विद्वान लोग स्वामी जी को पहचानते थे। विद्वानों ने महावीर स्वामी से अशिक्षित लोगों की गलतियों के लिए क्षमा मांगी। स्वामी जी ने आंखें खोलीं और सभी की बातें ध्यान से सुनीं।
गांव के लोगों ने माफी मांगते हुए कहा कि हम आपके लिए यहां एक कमरा बनवा देंगे, जिससे आप शांति से तपस्या कर पाएंगे। कोई भी आपकी साधना में बाधा नहीं बनेगा।
भगवान महावीर ने सभी की बातें सुनकर कहा कि ये सभी चरवाहे भी मेरे अपने ही हैं। बच्चे नादानी में अपने माता-पिता का मुंह नोचते हैं, मारते हैं, फिर भी माता-पिता बच्चों से नाराज नहीं होते हैं। मैं इन चरवाहों से नाराज नहीं हूं। आपको मेरे लिए कमरा बनवाने की जरूरत नहीं है। आप जो धन मेरे लिए कमरा बनाने में खर्च करना चाहते हैं, वह गरीबों के कल्याण में खर्च करेंगे तो मुझे अच्छा लगेगा।