सीख; देवी सती के पिता प्रजापति दक्ष थे, सती ने भगवान शिव से विवाह किया था, इस विवाह से दक्ष प्रसन्न नहीं थे, प्रजापित दक्ष ने हरिद्वार में भव्य यज्ञ का आयोजन किया और शिव-सती को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया……

इस दिन शिवजी की विशेष पूजा की जाती है। शिवजी से जुड़ी कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें सुखी जीवन के सूत्र बताए गए हैं। शिवजी और देवी सती से जुड़ी एक कथा प्रचलित है, इस कथा का संदेश यह है कि हमें कभी भी किसी के घर बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए।

जानिए ये कथा… शिवजी और माता सती से जुड़ी कथा श्रीमद् देवी भागवत, शक्तिपीठांक सहित कई ग्रंथों में बताई गई है। इस कथा के अनुसार देवी सती के पिता प्रजापति दक्ष थे। सती ने भगवान शिव से विवाह किया था। इस विवाह से दक्ष प्रसन्न नहीं थे। प्रजापित दक्ष ने हरिद्वार में भव्य यज्ञ का आयोजन किया और शिव-सती को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया।

सती को ये बात नारद से मालूम हुई तो वह यज्ञ में जाने के लिए तैयार हो गईं। शिवजी ने माता सती को समझाया कि बिना बुलाए यज्ञ में जाना ठीक नहीं है, लेकिन सती नहीं मानीं। शिवजी के मना करने के बाद भी सती अपने पिता के घर यज्ञ में चली गईं। जब सती यज्ञ स्थल पर पहुंची तो उन्हें मालूम हुआ कि यज्ञ में शिवजी के अतिरिक्त सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है। ये देखकर सती ने पिता दक्ष से शिवजी को न बुलाने का कारण पूछा। जवाब में दक्ष ने शिवजी का अपमान किया। अपने पति का अपमान देवी सती से सहन नहीं हुआ और उन्होंने हवन कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। जब ये बात शिवजी को मालूम हुई तो वे बहुत क्रोधित हो गए और शिवजी के कहने पर वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया।

जीवन प्रबंधन इस कथा से ये सीख मिलती है कि कभी भी बिना बुलाए किसी के घर या किसी कार्यक्रम में जाना ठीक नहीं है। अगर जीवन साथी सही बात कहे तो उसे तुरंत मान लेना चाहिए, उसका अनादर नहीं करना चाहिए। पुत्री या किसी अन्य स्त्री के सामने उसके पति की बुराई या अपमान नहीं करना चाहिए।

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