कहानी- एक व्यक्ति ने खेती और व्यापार करके खूब धन कमा लिया था, लेकिन वह बहुत कंजूस था, कामवासना में फंसा हुआ था, लालची था, गुस्सा करता था, मित्रों और रिश्तेदारों से भी अच्छा व्यवहार नहीं करता था……..

श्रीकृष्ण और उद्धव से जुड़ा किस्सा है। एक दिन श्रीकृष्ण ने उद्धव को एक कहानी सुनाई थी। भगवान ने कहा कि उद्धव मैं तुम्हें ये कहानी इसलिए सुना रहा हूं, ताकि तुम समझ सको कि अच्छे काम सही समय पर क्यों करना चाहिए।

कहानी इस प्रकार है- एक व्यक्ति ने खेती और व्यापार करके खूब धन कमा लिया था, लेकिन वह बहुत कंजूस था। कामवासना में फंसा हुआ था। लालची था। गुस्सा करता था। मित्रों और रिश्तेदारों से भी अच्छा व्यवहार नहीं करता था। उस व्यक्ति के ऐसे गलत व्यवहार की वजह से उसके करीबी लोग, उसकी पत्नी, रिश्तेदार सभी दुखी थे।

उस व्यक्ति का लक्ष्य सिर्फ धनी बनना था। वह अपने ऊपर भी खर्च नहीं करता था, लेकिन धीरे-धीरे उसका धन खर्च होने लगा। कुछ धन तो उसके घर-परिवार वालों ने ही छीन लिया। कुछ चोरी हो गया। कुछ अपने आप नष्ट हो गया। उसे व्यापार में भी नुकसान हो गया। थोड़ा बहुत धन बचा था, वह भी राज्य के राजा ने छीन लिया। उसने कभी किसी की मदद नहीं की थी तो किसी ने उसकी मदद नहीं की। वह गरीब हो गया था।

अब वह व्यक्ति सोचने लगा कि मैंने कभी किसी पर धन खर्च नहीं किया, ये मेरे काम भी नहीं आया। अब कोई मदद भी नहीं कर रहा है। जब तक धन है भाई-बंधु, स्त्री-पुत्र, माता-पिता, मित्र, रिश्तेदार सभी सम्मान करते हैं।

एक दिन किसी ने उस व्यक्ति से पूछा कि अब तुम्हें कैसा लगता है?

उसने जवाब दिया कि जब मेरे पास धन था तो मैंने उसका सदुपयोग नहीं किया। आज पछता रहा हूं।

श्रीकृष्ण की सीख

श्रीकृष्ण ने इस कहानी के माध्यम से उद्धव को समझाया कि समय अमूल्य है और हमें इसका सदुपयोग करना चाहिए। सेहत, शिक्षा और धन से जुड़े कामों में देर नहीं करनी चाहिए, जैसे ही समय मिले, इन कामों को कर लेना चाहिए। सेहत से जुड़ी लापरवाही न करें, शिक्षा ग्रहण करने में आलस न करें और धन कमाएं, लेकिन लालच न करें और जरूरत के अनुसार ही खर्च करें।

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