सीख; एक दिन मथुरा बाबू परमहंस जी के पास दौड़ते हुए आए और बोले, ‘मंदिर में चोरी हो गई है, मूर्ति तो वहीं है, लेकिन कीमती वस्त्र और गहने चोर ले गया, आप मेरे साथ चलें, मेरा मन बहुत दुखी है…….

रामकृष्ण परमहंस के एक शिष्य थे मथुरा बाबू। वे परमहंस जी के करीबी व्यक्ति थे। उन्होंने भगवान विष्णु का एक मंदिर बनवाया। मंदिर में भगवान की बहुत ही सुंदर मूर्ति स्थापित की।

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मथुरा बाबू धनवान थे तो उन्होंने विष्णु जी की मूर्ति को ऐसा सजाया कि लोग देखते रहते थे। मूर्ति की सजावट में उन्होंने कीमती वस्त्र, गले का हार, कान के कुंडल का उपयोग किया था। इसके साथ ही सोने की कई और वस्तुओं से भी मूर्ति को सजाया गया था।

जो भी दर्शनार्थी मूर्ति को देखता तो उसका ध्यान इन कीमती वस्तुओं पर जरूर जाता था। सभी तारीफ करते। अच्छी बातें सुनकर मथुरा बाबू बहुत खुश होते थे।

मथुरा बाबू मूर्ति के मूल्यवान वस्त्रों की, गहनों की बातें रामकृष्ण परमहंस को जरूर सुनाते थे। परमहंस जी उनकी बातें मुस्कान के साथ सुनते, लेकिन कुछ बोलते नहीं थे।

एक दिन मथुरा बाबू परमहंस जी के पास दौड़ते हुए आए और बोले, ‘मंदिर में चोरी हो गई है। मूर्ति तो वहीं है, लेकिन कीमती वस्त्र और गहने चोर ले गया। आप मेरे साथ चलें, मेरा मन बहुत दुखी है।’

दोनों मंदिर पहुंचे। परमहंस जी मूर्ति को देख रहे थे। मथुरा बाबू मूर्ति से शिकायत करने लगे, ‘हम तो मनुष्य हैं, लेकिन आप तो भगवान हैं। हमें तो मालूम नहीं हुआ कि चोरी कब हो गई, लेकिन आपके तो सामने हुई। आप इतने बड़े भगवान चोर को नहीं पकड़ सके। अब लोग क्या कहेंगे?’

परमहंस जी मथुरा बाबू की शिकायतें मुस्कान के साथ सुन रहे थे। मथुरा बाबू ने देखा कि परमहंस जी मुस्कुरा रहे हैं तो उन्होंने पूछा, ‘आप क्यों मुस्कुरा रहे हैं?’ परमहंस जी ने कहा, ‘मथुरा बाबू ये भगवान हैं, आपकी चीजों की रक्षा करने वाले चौकीदार नहीं। ये परमात्मा हैं, तुम्हारा सामान चोरी जाए तो इन्हें इससे क्या लेना-देना। ये तो तुम्हें जीवन देते हैं। इनसे जीवन लो। वस्तुओं का हिसाब-किताब इनसे न मांगो।’

ये बातें सुनकर मथुरा बाबू का दुख दूर हो गया।

सीख – भगवान से सौदेबाजी नहीं करनी चाहिए। ऐसा न सोचें कि हम इतनी कीमती वस्तु चढ़ाएंगे तो भगवान प्रसन्न हो जाएंगे। भगवान को इन सांसारिक चीजों से कोई लेना-देना नहीं है। भगवान चाहता है कि जब कोई भक्त मेरे पास आए तो अपना चिंतन लेकर आए और मेरी लीलाओं की सीख को अपने जीवन में उतारे। ये वस्तु इंसान को ही कमाना है और इंसान को ही खर्च करना है। भगवान सिर्फ जीवन देता है।

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