सीख; एक दिन गुरु वशिष्ठ जी राम जी के महल में बिना पूर्व सूचना दिए आ गए, उन्होंने अपने गुरु से कहा, ‘आपने मुझे बुला लिया होता तो मैं आपके पास आ जाता, गुरु को यहां तक आने का कष्ट क्यों करना………

रामायण का किस्सा है। राम अचानक उठकर खड़े हो गए, वे आश्चर्यचकित इसलिए हुए, क्योंकि गुरु वशिष्ठ जी उनके महल में बिना पूर्व सूचना दिए आ गए थे।

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राम ने अपने गुरु से कहा, ‘आपने मुझे बुला लिया होता तो मैं आपके पास आ जाता। गुरु को यहां तक आने का कष्ट क्यों करना पड़ा?’

वशिष्ठ जी बोले, ‘राम मैं एक सूचना देने आया हूं। निर्णय ले लिया गया है कि कल तुम्हारा राजतिलक किया जाएगा और तुम अवध के राजा बन जाओगे। ये निर्णय सभी की सहमति से लिया गया है।’

वशिष्ठ जी ने राम को सूचना देते हुए समझाइश भी दी थी। जो बातें उन्होंने राम से कही, उनमें एक महत्वपूर्ण बात ये थी कि राम आज की रात सारे संयम पालना, क्योंकि कल तुम्हें राजा बनना है। विधाता सारे काम ठीक से पूरे करेगा।

वशिष्ठ जी तो चले गए, राम सोचते रहे कि ये जो निर्णय लिया गया है, वह तो अपनी जगह है, लेकिन आज गुरुदेव ये बोले गए कि मुझे आज की रात संयम पालना है।

धीरे-धीरे राम को समझ आने लगा कि जिसे सत्ता हासिल करना हो, उसे संयम का पाठ धर्म सत्ता ही समझा सकती है। गुरु का काम ही है कि राजा को सबसे पहले संयम का महत्व समझाए।

राम जानते थे कि सत्ता पर बैठे हुए अधिकतर लोग संयम छोड़ देते हैं, जिसकी कीमत राजा के साथ ही प्रजा को भी चुकानी पड़ती है। राज सत्ता संयमित रहे, यही काम धर्म सत्ता का होता है।

सीख – जिन लोगों के पास निर्णय लेने का अधिकार है, उन्हें संयम बनाए रखना चाहिए। बड़े पद पर बैठे लोग संयम बनाए रखेंगे तो इसका लाभ सभी को मिलता है।

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