सीख; दुष्ट राजाओं से दुखी पृथ्वी गाय का रूप लेकर देवताओं के पास पहुंचीं, आंखों से आंसु बह रह थे, शरीर कमजोर हो गया था। पृथ्वी ने गाय के रूप में देवताओं को अपना दुख बताया तो देवता उन्हें लेकर ब्रह्मा जी के पास…..
दुष्ट राजाओं के गलत कामों और उनकी जीवन शैली से पृथ्वी बहुत परेशान हो गई थी। उस समय पृथ्वी पर अधिकतर लोग बहुत गलत काम करने लगे थे। सत्ता जब बुरे लोगों के हाथ में होती है तो पृथ्वी को भी उसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
दुखी पृथ्वी गाय का रूप लेकर देवताओं के पास पहुंचीं। आंखों से आंसु बह रह थे। शरीर कमजोर हो गया था। पृथ्वी ने गाय के रूप में देवताओं को अपना दुख बताया तो देवता उसे लेकर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे।
ब्रह्मा जी ने देखा-सुना तो कहा, ‘तुम्हारी ये समस्या मैं अकेले खत्म नहीं कर सकता। हमें भगवान विष्णु की मदद लेनी होगी।’ जब ब्रह्मा जी ने आंखें बंद करके समाधि लगाई तो उन्हें आकाशवाणी सुनाई दी। आंखें खोलकर ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं से कहा, ‘मैंने अभी समाधि में आकाशवाणी सुनी है। भगवान विष्णु ने हम सभी के भावों को समझ लिया है। उन्होंने कहा है कि मैं अवतार लूंगा और आप सभी देवता भी पृथ्वी पर जाएं। अपने-अपने अंशों से जन्म लें, जब मैं अवतार लूंगा तो सभी मेरा सहयोग करें।’
भगवान विष्णु की बातें मानकर देवताओं ने ऐसा ही किया। जब परमात्मा अवतार लेते हैं तो देवता भी अलग-अलग रूप लेकर जन्म लेते हैं। कोई भगवान से रिश्ता रखता है, कोई भगवान से दूर रहकर उनकी मदद करता है। इसके बाद भगवान दुष्टों का संहार करते हैं और पृथ्वी को राहत पहुंचाते हैं।
सीख – जब परमात्मा हमारी मदद करने आते हैं तो हमारी भी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि हम भी अपनी भूमिका निभाएं। आज काफी लोग भगवान पर सबकुछ छोड़कर सोचते हैं कि सब कुछ भगवान ही करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। भगवान कहते हैं कि करना तुम्हें ही है, लेकिन मैं तुम्हारे लिए तुम्हारी मदद करूंगा, लेकिन कुछ काम तो तुमको भी करना होंगे। इसलिए हमें अपने कर्तव्यों से कभी भी मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।