सीख; हनुमान जी ने श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता करवा दी थी, तब श्रीराम ने सुग्रीव से पूछा, आप राजा सुग्रीव, आपकी और मेरी अभी-अभी मित्रता हुई है, मैं ये जानना चाहता हूं कि आप इस जंगल में क्यों रहते हैं…….

रामायण में हनुमान जी ने श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता करवा दी थी। उस समय श्रीराम ने सुग्रीव से पूछा, ‘राजा सुग्रीव, आपकी और मेरी अभी-अभी मित्रता हुई है। मैं ये जानना चाहता हूं कि आप इस जंगल में क्यों रहते हैं? किस बात की परेशानी है?’

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सुग्रीव ने कहा, ‘मेरे बड़े भाई का नाम बाली है। वह मुझे मारने के लिए खोज रहा है। ऋष्यमूक पर्वत पर वह आ नहीं सकता है, क्योंकि उसे शाप लगा है। मैं यहां डरकर छिपा हुआ हूं।’

श्रीराम ने पूछा, ‘आपका सगा भाई आपको मारना चाहता है?’

सुग्रीव ने कहा, ‘हां, एक समय हम दोनों भाइयों में बहुत प्रेम था, मित्रता थी। एक दिन हमारे राज्य में एक दानव आया। मेरा भाई बाली बहुत बलवान है और अहंकारी है तो वह उस दानव को मारने के लिए दौड़ पड़ा। दोनों में युद्ध हुआ। दोनों लड़ते-लड़ते एक गुफा में चले गए। बाली मुझसे कहकर गया था कि तुम गुफा के बाहर रुकना, मैं इस दानव को मारकर आता हूं, लेकिन काफी समय तक बाली नहीं आया, एक दिन गुफा से रक्त की धार बाहर आ गई, मैं डर गया। मैंने सोचा बाली मारा गया। मैंने एक बड़ा पत्थर गुफा के द्वार पर रखा और अपने राज्य लौट आया। राजा बाली के बिना राज्य था तो मंत्रियों ने मुझे राजा बना दिया। कुछ समय बाद जब बाली लौट कर आया, उसने मुझे राजा बने देखा तो वह गुस्सा हो गया। उसने मुझे मारा। मेरी कोई गलती नहीं थी।’

श्रीराम सोचते हैं, ‘आधी-आधी गलती दोनों की है। बाली ने ये जानने की कोशिश नहीं की कि सुग्रीव को राजा किसने और क्यों बना दिया? दूसरी ओर सुग्रीव ने जब गुफा में से रक्त की धार निकलते हुए देखी तो वह जान ही नहीं सका कि ये रक्त किसका है? राक्षस का रक्त था, भाई का समझ लिया।’

श्रीराम सुग्रीव से कहते हैं, ‘रिश्ते इसलिए ही खराब हो जाते हैं, आप अपने सदस्यों के रक्त को ही पहचान नहीं पाते हैं। अहंकार की वजह से अपने परिवार के सदस्यों के निर्णय को समझ नहीं पाते हैं। निर्णय में बाली चूक गया और रक्त की पहचान में सुग्रीव ने गलती कर दी। इन दो बातों की वजह से बाली और सुग्रीव की बीच लड़ाई हो गई।’

सीख – जब रिश्ता निभाना हो तो हर एक घटना के पीछे की बातों को भी गहराई से समझना चाहिए। सिर्फ सामने से देखकर कोई निर्णय न लें और अहंकार से बचें। परिवार में अहंकार होगा तो रिश्ता निभाना मुश्किल हो जाता है।

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