सीख; क्लास की हालत देखकर शिक्षक को बहुत गुस्सा आ रहा था, दरअसल उनके आने से पहले किसी ने वहां बैठकर मूंगफली खाई थी और छिलके वही फर्श पर गिरा दिए थे……..

उस दिन क्लास में शिक्षक बहुत गुस्से में थे। कारण था उनके आने से पहले किसी ने क्लास में मूंगफली खाई और छिलके नीचे फर्श पर ही फेंक दिए। शिक्षक का पारा चढ़ाने के लिए इतना काफी था।

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शिक्षक ने सबसे पूछा कि ये कचरा किसने फैलाया है। किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने बार-बार पूछा लेकिन सारे बच्चे चुप रहे। फिर उन्होंने कहा कि अगर किसी ने भी अपनी गलती नहीं कबूली तो पूरी क्लास को सजा मिलेगी। सबको मार पड़ेगी। फिर भी क्लास का कोई बच्चा कुछ नहीं बोला।

जो बदमाश बच्चे थे वो खुश हो रहे थे कि हमारे कारण आज सारे बच्चे मार खाएंगे। शिक्षक एक-एक करके बच्चों के मार रहे थे और बच्चे भी चुपचाप मार खा रहे थे। फिर शिक्षक एक लड़के के पास पहुंचे। उस लड़के ने ऊंची आवाज में कहा, गुरु जी आप मुझे नहीं मार सकते।

इतना सुनकर शिक्षक और गुस्सा हो गए। उन्होंने कहा-बदतमीजी करते हो, मुझसे ऊंची आवाज में बात करते हो। लड़के ने कहा- मैं ऊंची आवाज में इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि मैंने जो अपराध किया नहीं, उसकी सजा क्यों पाऊं। मैंने ये कचरा नहीं फेंका है, इसलिए मुझे सजा नहीं मिलनी चाहिए।

ये बोलते समय उस लड़के की आवाज में गजब की निर्भिकता थी और पूरी ईमानदारी थी। शिक्षक मुस्कुरा दिए। उन्होंने कहा- मैं तुझे जानता हूं, तेरा नाम तिलक है ना? अगर ये ईमानदारी तूने हमेशा बचाकर रखी तो तू देश के बहुत काम आएगा।

इसके आगे कि कहानी दुनिया जानती है, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने देश की स्वतंत्रता के लिए पूरा जीवन लगा दिया।

सबकः अगर कोई गलती आपने नहीं की है तो फिर आरोप लगाने वाला या सजा देने वाला व्यक्ति कितना ही बड़ा क्यों ना हो, उसके विरोध में पूरी निडरता और सच्चाई के साथ उतर जाना चाहिए।

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