क्या आप जानते हैं कि रेलवे इंजीनियर को कैसे पता चलता है कि रेल की पटरी खराब हो गई है और इसे कब बदल जाता है, जानिए सबकुछ
ट्रेन से हम सबने सफर किया है, लेकिन क्या कभी रेल पटरी बदलते हुए देखा है? ज्यादातर तभी रेल पटरी बदली जाती है, जब कोई हादसा हो जाता है. रेलवे ट्रैक में दरार आ जाती है. या फिर रेल पटरी उखड़ जाती है या टूट जाती है. बाकी की पटरी वैसी की वैसी रहती है. कई दशकों तक वही रेल पटरी चलती रहती है; उसे बदला नहीं जाता. ऐसे में सोशल मीडिया मंच कोरा पर सवाल पूछा गया कि ट्रेन की पटरी कब खराब मानी जाती है? कैसे पता लगाते हैं कि ट्रेन की पटरी खराब हो गई और उसे बदलने की जरूरत है? एक एक्सपर्ट ने इसका जवाब दिया है.
खुद को रेलवे में चीफ इंजीनियर बताने वाले अनिमेष कुमार सिन्हा ने इंडियन रेलवे के फैक्ट के साथ इसका जवाब दिया. उन्होंने बताया कि रेल पटरी की आयु उस पर पड़ने वाले लोड यानी वजन पर निर्भर करती है. इसे जीएमटी यानी ग्रॉस मिलियन टन में मापा जाता है. आजकल जो भी रेल पटरियां बिछाई जाती हैं, उनकी आयु 1 अरब जीएमटी होती है. एक अरब जीएमटी से अगर आप मतलब नहीं निकाल पा रहे हैं, तो इसे यूं समझें. यह आयु 2 लाख मालगाड़ी के आवागमन या 10 लाख एक्सप्रेस ट्रेनों के आवागमन के बराबर है.
तो 54 साल तक रेल ट्रैक खराब नहीं होगा
सीधे तौर पर समझें तो जिस ट्रैक से 2 लाख मालगाड़ी या 10 लाख एक्सप्रेस ट्रेन गुजर चुकी होती हैं, उसे मरम्मत या बदलने के योग्य माना जाता है. अब आप इसे ऐसे देख सकते हैं कि अगर किसी रेल ट्रैक से रोजाना 50 एक्सप्रेस एक दिशा से गुजरे तो 54 साल में जाकर यह रेल पटरी बदलने योग्य होगी. अगर 50 एक्सप्रेस के साथ 10 मालगाड़ी भी प्रतिदिन एक दिशा से निकले तो 27 वर्ष तक रेल ट्रैक खराब नहीं होगा. यानी इसके बाद ही मरम्मत की जरूरत महसूस होगी.
रेल पटरी का घिसाव मापते हैं इंजीनियर
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर से तय कैसे किया जाता है कि पटरी खराब हो गई? दरअसल, इसके लिए नियमित चेकिंंग की जाती है और रेल पटरी का घिसाव आदि नापा जाता है. अगर घिसाव 8 -13 मिलीमीटर ऊपर से नीचे की ओर हो रहा है, तो पटरी तुरंत बदल दी जाती है. इसके अलावा नियमित तौर पर ट्रैक रेकॉर्डिंग कार (TRC) चलाई जाती है. इसमें लगे उपकरण पटरी में हुई किसी भी गड़बड़ी को तुरंत माप लेते हैं और संकेत दे देते हैं. इसके बाद इंजीनियर इसकी जांच कर बदलने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं.