सीख; रास्ते पर पड़े एक भिखारी पर बुद्ध के एक शिष्य की नजर पड़ी तो वह उसे उठाने लगा, वो भिखारी बेहोश था, जब उसे होश आया तो उस शिष्य ने भिखारी से कहा…….
भगवान बुद्ध का एक शिष्य रास्ते पर पड़े एक भिखारी को हिला रहा था। वह भिखारी बेहोश था। आसपास कई लोग इकट्ठा हो गए। जब उसे थोड़ा होश आया तो बुद्ध के शिष्य ने उससे कहा, ‘यहां पड़े-पड़े जीवन खत्म हो जाएगा, ऐसे ही मर जाओगे। अंत समय में कम से कम कुछ अच्छी बातें सुन लो, उपदेश प्राप्त कर लो। चलो मेरे साथ, मैं तुम्हें भगवान बुद्ध के पास ले चलता हूं। जब तुम उन्हें सुनोगे तो तुम्हारा दर्द दूर हो जाएगा।’
वह भिखारी इतना लाचार था कि करवट भी नहीं ले पा रहा था। वह शिष्य उसे उठा भी नहीं पा रहा था। शिष्य बोला, ‘तुम यहीं ठहरो, मैं भगवान के पास जाता हूं, उन्हें सूचना देता हूं, वे कुछ न कुछ जरूर करेंगे।’
शिष्य बुद्ध के पास पहुंचा और बुद्ध को उस भिखारी की स्थिति बताई और कहा, ‘मैंने ये प्रयास किया कि मैं उसे आपके पास ले आऊं, अंत समय में वह भी आपके उपदेश सुन ले, लेकिन वह लाचार है, यहां आ नहीं सकता। आप ही बताइए, अब क्या किया जाए?’
बुद्ध ने कहा, ‘करना क्या है, चलो हम ही उसके पास चलते हैं।’
बुद्ध वहां गए। आसपास कई लोग इकट्ठा हो गए थे। सभी ने सोचा कि बुद्ध उपदेश देंगे तो हम भी सुन लेंगे। बुद्ध ने कहा, ‘ठहरो, सबसे पहले कुछ भोजन की व्यवस्था करो और इसे खाने के लिए दो।’
भोजन की व्यवस्था की गई और जैसे ही खाना उस भिखारी के पेट में गया, वह गहरी नींद में सो गया। सभी ने कहा कि ये तो सो गया, बुद्ध ने कहा, ‘हमारा काम हो गया। चलो अब हम यहां से चलते हैं।’
उस शिष्य ने और आसपास खड़े लोगों ने बुद्ध से कहा, ‘कैसा मूर्ख है ये, खाना खाकर सो गया। आप यहां थे, इसने उपदेश भी नहीं लिया।’
बुद्ध ने कहा, ‘ठीक है कोई बात नहीं, ये कई दिनों से भूखा-प्यासा था। ये भूख से ही मर रहा था। इसके लिए सबसे बड़ा उपदेश यही है कि सबसे पहले पेट भरा जाए। अगर कोई व्यक्ति भूखा है तो वह धर्म का मर्म नहीं समझेगा। तुम लोग यही भूल कर रहे हो। सबसे पहले व्यक्ति की जो आवश्यकताएं हैं, उन्हें पूरा करना चाहिए, उसके बाद ज्ञान की बातें करनी चाहिए।’
सीख – हम धर्म के नाम पर कितने ही कर्म करें, लेकिन सबसे पहले ये देखें कि हमारे आसपास कोई भूखा न रहे। किसी का पेट भरने के बाद ही हम उसका हृदय भर सकते हैं।