सीख; युवा नरेंद्र को संस्कृत पढ़ाने वाले गुरु जी बहुत गरीब थे, लेकिन वे कहते थे कि ईश्वर बड़ा दयालु है और वह हमेशा हम लोगों का ध्यान रखता है, विद्यार्थी उनसे बहुत कुछ सीखते थे, लेकिन……
स्वामी विवेकानंद कहते थे कि परमात्मा पर भरोसा रखना चाहिए। इस बात के संबंध में वे एक कहानी अक्सर सुनाते थे। ये उनके विद्यार्थी जीवन की सत्य घटना थी। जब वे विवेकानंद नहीं, नरेंद्र के नाम से जाने जाते थे।
उस समय युवा नरेंद्र को संस्कृत पढ़ाने वाले गुरु जी बहुत गरीब थे, लेकिन वे कहते थे कि ईश्वर बड़ा दयालु है और वह हमेशा हम लोगों का ध्यान रखता है। विद्यार्थी उनसे बहुत कुछ सीखते थे, लेकिन ये एक बात सभी विद्यार्थियों के मन में बैठ जाती थी, क्योंकि गुरु जी पूरे विश्वास के साथ ये बात कहते थे।
एक दिन वे पढ़ा रहे थे, उस समय कक्षा में एक व्यक्ति आया और उसने मनी आर्डर दिया। साथ में एक पत्र भी दिया। जब गुरु जी ने उस पत्र को पढ़ा तो उनकी आंखों में आंसू आ गए थे। जब कक्षा खत्म हुई तो सबसे पहले युवा नरेंद्र उनके पास पहुंचे और पूछा, ‘गुरु जी सब ठीक तो है? क्या बात है?’
गुरु जी ने कहा, ‘मेरे परिवार के सदस्य जिसमें छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, पिछले कुछ दिनों से भूखे हैं। गरीबी की वजह से मैं उनके खाने की व्यवस्था नहीं कर पा रहा हूं। किसी सज्जन ने इस पत्र के साथ मनी आर्डर भेजा है। पत्र में लिखा है कि मैं आपको जानता हूं। मेरे सपने में शिव जी आए और उन्होंने कहा कि मैं आपकी मदद करूं तो मैंने आपको ये पैसे भिजवा दिए हैं।’
युवा नरेंद्र ने कहा, ‘गुरु जी अगर आप इतने परेशान हैं तो हमसे कह देते। हम लोग आपके लिए कुछ व्यवस्था कर देते।’
गुरु जी ने कहा, ‘जब ऊपर बैठा परमात्मा मेरी चिंता कर रहा है तो मैं नीचे वालों से क्यों मदद मांगू?’
उस दिन युवा नरेंद्र को कई बातें समझ आईं। जब युवा नरेंद्र बड़े हुए और विवेकानंद बने तो उन्होंने ये घटना कई लोगों को सुनाई थी।
सीख
जब हम अच्छी नीयत के साथ भगवान पर भरोसा करते हैं तो भगवान किसी न किसी रूप में अपने भक्तों की मदद जरूर करता है। परिश्रम हमें ही करना है, लेकिन भगवान पर भरोसा भी रखें।