सीख; एक दिन सुबह-सुबह स्वामी विवेकानंद जी जब उठे तो उन्होंने करीब तीन घंटे ध्यान किया, ध्यान करने के बाद मठ में रह रहे छात्रों को बुलाया, स्वामी जी ने सभी से कहा, ‘आप जो भी कुछ पूछना चाहते हैं, आज पूछ सकते हैं……..

बैलूर मठ में एक दिन सुबह-सुबह जब स्वामी विवेकानंद जी उठे तो उन्होंने करीब तीन घंटे ध्यान किया। ध्यान करने के बाद मठ में रह रहे छात्रों को बुलाया। यजुर्वेद, योग, समाधि आदि विषयों की जानकारी दी और प्रश्नोत्तर किए।

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स्वामी जी ने सभी से कहा, ‘आप जो भी कुछ पूछना चाहते हैं, आज पूछ सकते हैं।’

सभी ने विचार किया कि हमें एक वैदिक कॉलेज खोलना चाहिए। बातें चलती रहीं और फिर शाम हो गई। तब स्वामी जी बोले, ‘अब मैं एकांत में जा रहा हूं, ध्यान करूंगा। मुझे कोई भी व्यवधान न पहुंचाए। आप सभी इस बात का ध्यान रखना।’

उस रात करीब 9.20 बजे स्वामी विवेकानंद जी ने महासमाधि ले ली। मठ के सभी लोग जानते थे कि स्वामी जी को इन दिनों इनसोमनिया (नींद की बीमारी), डायबिटीज, अस्थमा जैसी बीमारियां हो गई हैं। ये बीमारियां लगातार परिश्रम करने से स्वामी जी को हो गई थीं। स्वामी जी शरीर से बीमार हो गए थे, लेकिन वे मन से स्वस्थ और जागरुक थे।

स्वामी ने शरीर से खूब काम किया और आत्मा पर उससे अधिक काम किया। 40 वर्ष की आयु में स्वामी जी जान गए थे कि आज मेरा अंतिम दिन है। उन्होंने अपनी मृत्यु की तैयारियां स्वयं की थीं। उनके जाने के बाद शिष्यों ने विचार किया कि सुबह स्वामी जी योग और समाधि की चर्चा कर रहे थे और रात में ऐसी घटना घट जाएगी, ये किसी ने नहीं सोचा था। यही महापुरुषों की विशेषता है कि वे जाने से पहले समझा जाते हैं कि शरीर की बीमारियां वंशानुगत हो सकती है, कुछ प्रारब्ध से मिलती हैं, कुछ हमारी जीवन शैली की वजह से हो जाती हैं, लेकिन अंतिम समय की तैयारी हम अपने तप और योग साधना से कर सकते हैं। ये हमारे हाथ में होता है।

सीख

जब सेहत ठीक न हो तब भी निराश नहीं होना चाहिए। योग साधना और तप करते रहेंगे तो जीवन के अंतिम दिनों में मन विचलित नहीं होगा।

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