सीख; द्रौपदी से विवाह करने के लिए दुनियाभर के राजा आए हुए थे, स्वयंवर में ऊपर लकड़ी के एक यंत्र में एक मछली लगी हुई थी और नीचे एक बर्तन में तेल भरा था, वहीं धनुष-बाण भी रखे थे, राजाओं…….

महाभारत में द्रौपदी का स्वयंवर हो रहा था। दुनियाभर के राजा द्रौपदी से विवाह करने के लिए आए हुए थे। स्वयंवर में ऊपर लकड़ी के एक यंत्र में एक मछली लगी हुई थी और नीचे एक बर्तन में तेल भरा था। वहीं धनुष-बाण भी रखे थे। राजाओं को तेल में मछली की छाया देखकर उसकी आंख में धनुष-बाण से निशाना लगाना था। ये बहुत मुश्किल शर्त थी।

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कई राजाओं ने कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली, कुछ राजा तो धनुष ही नहीं उठा सके। उस स्वयंवर में कर्ण और दुर्योधन भी आए हुए थे। स्वयंवर की शर्त पूरी करने के लिए जब कर्ण उठा तो दुर्योधन ने उससे कहा, ‘मैं द्रौपदी से विवाह करना चाहता हूं। तुम मेरे मित्र हो। मैं उतना अच्छा धनुष नहीं चला पाता हूं, तुम निश्चित रूप से सही निशाना लगा दोगे। द्रौपदी तुम्हें वरमाला पहना देगी। इसके बाद तुम द्रौपदी को मुझे सौंप देना।’

इस गलत नीयत से एक मित्र दूसरे मित्र की मदद कर रहा था। कर्ण ने धनुष को उठाया, प्रत्यंचा चढ़ाई। बाण धनुष में चढ़ाया। बस वह बाण छोड़ने ही वाला था, तब ऊंची आवाज में द्रौपदी ने कहा, ‘मैं सूत जाति के पुरुष का वरण नहीं करूंगी।’

द्रौपदी की बात सुनकर कर्ण ने धनुष-बाण रख दिए। वहां इस बात का विरोध हुआ, दुर्योधन भी कर्ण के पक्ष में बोला, लेकिन द्रौपदी ने कहा, ‘विवाह मेरा हो रहा है। अंतिम निर्णय मेरा होना चाहिए। मेरी स्वीकृति के बिना कोई भी पुरुष इस स्वयंवर में भाग नहीं ले सकता है। जिसे मैं स्वीकृति दूंगी, वही इस स्वयंवर में भाग लेगा और उनमें से जो श्रेष्ठ होगा, उसे मैं वर के रूप में चुनूंगी।’

स्वयंवर में द्रौपदी के पिता ने भी कहा कि कन्या को ये अधिकार है कि वह अपना जीवन साथी खुद चुने।

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महाभारत की ये घटना हमें संदेश दे रही है कि बहन-बेटी को अपना जीवन साथी खुद चुनने का अधिकार है। लड़की की सलाह और सहमति को भी मान देना चाहिए।

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