सीख; तुकाराम जी का एक पड़ोसी बहुत गुस्से वाला था और तुकाराम जी जलन की भावना रखता था, जलने वाला पड़ोसी भी रोज प्रवचन सुनने आता था, वह पड़ोसी संत तुकाराम जी की गलती खोजते रहता……
तुकाराम जी की जयंती तिथि के संबंध में कई मतभेद हैं। जन्म सन् को लेकर भी मतभेद हैं। ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म 1598 में महाराष्ट्र में हुआ था।
संत तुकाराम का नाम महान संतों में शामिल है। उनके जीवन की कई ऐसी घटनाएं हैं, जिनमें सुखी और सफल जीवन के सूत्र छिपे हैं। तुकाराम जी से जुड़ा एक किस्सा बहुत प्रचलित है। उस किस्से के अनुसार उनका एक पड़ोसी बहुत गुस्से वाला था और तुकाराम जी जलन की भावना रखता था।
तुकाराम जी की ख्याति चारों ओर बढ़ रही थी। वे रोज अपने घर पर प्रवचन देते थे। जलने वाला पड़ोसी भी रोज प्रवचन सुनने आता था। वह पड़ोसी संत तुकाराम जी की गलती खोजते रहता था।
एक दिन संत तुकाराम की भैंस उस पड़ोसी के खेत में चली गई और भैंस की वजह से पड़ोसी की बहुत सारी फसल खराब हो गई। पड़ोसी को मौका मिल गया। वह बहुत गुस्सा हुआ। गुस्से में संत तुकाराम के घर गया और गालियां देने लगा।
तुकाराम जी ने गालियों का जवाब नहीं दिया तो उसे और ज्यादा गुस्सा आया। उसने एक डंडा उठाया और संत की पिटाई तक कर दी, लेकिन तुकाराम चुप ही रहे। अंत में थककर वह पड़ोसी अपने घर चला गया।
तुकाराम प्रवचन दे रहे थे, तब वह पड़ोसी नहीं आया। वे तुरंत ही उसके घर गए और भैंस की वजह से हुए नुकसान की माफी मांगने लगे और प्रवचन में आमंत्रित करने लगे।
ये सब देखकर वह पड़ोसी उनके पैरों में गिर पड़ा और क्षमा मांगने लगा। तुकाराम ने पड़ोसी को उठाया और गले लगा लिया। पड़ोसी को समझ आ गया कि संत तुकाराम उनके ज्ञान और व्यवहार की वजह से महान हैं।
गुस्से को गुस्से से नहीं जीत सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति गुस्से में है तो हमें शांति से काम लेना चाहिए। एक ही समय पर दो लोग एक साथ गुस्सा करेंगे तो वाद-विवाद ज्यादा बढ़ेगा। गुस्से को शांति से ही जीता जा सकता है।