सीख; कौरव-पांडवों के बीच युद्ध इतना भीषण हुआ कि रक्त की नदी बह गई, उस रक्त की नदी में कटे हुए सिर और धड़ बह रहे थे, गीदड़, चील जैसे हिंसक पशु-पक्षी आसपास आने लगे, सभी उस नदी में…….

महाभारत युद्ध किस भूमि पर होगा, उसके नियम क्या होंगे, युद्ध किस दिन शुरू होगा, ये सब श्रीकृष्ण ने तय किया था। ये युद्ध 18 दिनों तक चला था।

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महाभारत युद्ध शुरू हुआ और युद्ध के सातवें दिन के लिए महाभारत में वेद व्यास जी ने लिखा है कि कौरव-पांडवों के बीच युद्ध इतना भीषण हुआ कि रक्त की नदी बह गई। उस रक्त की नदी में कटे हुए सिर और धड़ बह रहे थे। गीदड़, चील जैसे हिंसक पशु-पक्षी आसपास आने लगे। सभी उस नदी में कूदते, मांस खाते, बड़ा ही वीभत्स दृश्य था।

जब रात होती, युद्ध विराम होता तो कौरव-पांडव इकट्ठा होते थे। सभी आपस में रिश्तेदार थे। भाई-भाई थे, जीजा-साले थे, चाचा-भतीजे थे, ये सभी एक-दूसरे से युद्ध कर रहे थे, लेकिन नियम ये था कि रात में सभी एक-दूसरे के शिविर में जा सकते थे। सभी रात में मिलते, मनोरंजन करते, हास-परिहास करते, कोई कीर्तन करता, कोई अभिनय करता, कोई नोटंकी करता, दिनभर का शत्रुता का भाव ऐसे मिटा दिया जाता था। अगले दिन फिर युद्ध करने लगते थे।

सीख

इस दृश्य में हमारे लिए एक संदेश है। महाभारत में इस दृश्य के लिए लिखा है कि कुछ समय के लिए ऐसा लगता था कि जैसे स्वर्ग उतर आया हो। हमारे परिवारों में भी वाद-विवाद होते रहते हैं, लेकिन जब रात हो, भोजन का समय हो, सोने का वक्त हो तो बिल्कुल ऐसे ही हो जाना चाहिए जैसे कुरुक्षेत्र में आपस में सभी मिल जाते थे। बातचीत करते, एक-दूसरे को खुश रखते थे। सभी लोगों का स्वभाव और विचार अलग-अलग होते हैं। इस कारण टकराहट तो होती रहती है, लेकिन सभी एक ही परिवार में रहते हैं, इसलिए समय-समय पर एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए, एक-दूसरे को सलाह दें, एक-दूसरे को सहारा दें।

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