सीख; एक दिन किसी गांव में संत मामा प्रयागदास के प्रवचन चल रहे थे, जो लोग व्यवस्था में लगे थे, वे आपस में चर्चा कर रहे थे कि इनके लिए सात तरह के फूलों की व्यवस्था करनी पड़ती है, गांव के लोग सोचने लगे कि ये सात फूल कौन-कौन से……..

संत मामा प्रयागदास सीता जी को अपनी बहन मानते थे। इस कारण सभी लोग उन्हें मामा कहते थे। वे जिस गांव में जाते थे, वहां के लोग उन्हें सुनने के लिए पहुंचते थे।

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एक दिन किसी गांव में उनके प्रवचन चल रहे थे। जो लोग व्यवस्था में लगे थे, वे आपस में चर्चा कर रहे थे कि इनके लिए सात तरह के फूलों की व्यवस्था करनी पड़ती है। गांव के लोग सोचने लगे कि ये सात फूल कौन-कौन से हैं? मालूम हो जाए तो हम इनकी व्यवस्था करें। बाकी चीजें तो इकट्ठा कर ली गई, लेकिन सात फूल की व्यवस्था नहीं हो पाई।

फूल नहीं मिले तो गांव के लोग चर्चा करने लगे कि संतों के बड़े नखरे होते हैं। अब पता नहीं मामा प्रयागदास कौन से सात फूल मांग लेंगे। चलो एक काम करते हैं, इनसे ही पूछ लेते है कि इन्हें कौन-कौन से फूल चाहिए। सभी लोग मामा जी के पास पहुंचे और पूछने लगे, ‘बताइए, वो सात फूल कौन-कौन से हैं, क्योंकि उन्हें इकट्ठा करने में समय लगेगा।’

मामा जी विनोदी स्वभाव के थे। उन्होंने कहा, ‘आपको कुछ खास करने की जरूरत नहीं है। आप एक काम करो, जब कथा शुरू हो जाए तो चुपचाप कथा सुनना। उस कथा में ही सात फूलों की व्यवस्था अपने आप हो जाएगी।’

ये सुनकर लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। कथा में मामा जी बोले, ‘मैं जिन सात फूलों की व्यवस्था अपनी कथा में करता हूं, आप लोग भी करें। सात फूलों के नाम लिख लें। ये सात फूल हैं – अहिंसा, संयम, दया, क्षमा, ध्यान, सत्य और परोपकार। यही सात फूल हैं, जिनसे मैं भगवान को प्रसन्न रखता हूं।’

गांव के लोगों को समझ आ गया कि संतों की बातों को सही ढंग से न समझा जाए तो हमारे मन में संत के लिए गलत भाव आ सकते हैं।

सीख

परमात्मा की पूजा के लिए अहिंसा, संयम, दया, क्षमा, ध्यान, सत्य और परोपकार, ये सात फूल यानी सात गुण बहुत जरूरी हैं। जिन लोगों में ये सात गुण होते हैं, उन्हें परमात्मा की कृपा जरूर मिलती है।

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